लखनऊ : उत्तर प्रदेश शिया सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने एक बार फिर बेबाक बयान दिया है। रिजवी अपने बेबाक राय रखने के लिए जाने जाते हैं। रिजवी ने कहा कि कहा कि राम मंदिर निर्माण के पक्षकारों और बोर्ड के बीच हुए समझौते के आधार पर कानून बनाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी श्रीराम मंदिर निर्माण शुरु कराएं। देश की जनता उनके साथ है। चेयरमैन रिजवी ने प्रधानमंत्री मोदी को एक पत्र लिखा है। रिजवी ने पत्र के माध्यम से कानून बनाकर राम मंदिर निर्माण शुरु कराने की मांग की है।
वसीम ने कहा कि बोर्ड का मानना है कि अगर बोर्ड द्वारा मंदिर पक्षकारों के साथ बातचीत करके जो समझौता प्रस्ताव तैयार किया गया तो उसको कानूनी मान्यता मिल जाएगी। कट्टरपंथी सुन्नी समाज के विवाद को अंदेखा करते हुए राष्ट्रहित में अयोध्या में श्रीराम का भव्य राम मंदिर और लखनऊ में एक मस्जिद-ए-अमन बनाकर देश में शान्ति बहाल करने के सार्थक कदम साबित हो सकता है।
उन्होंने कहा कि अयोध्या स्थित राम जन्मभूमि पर वर्ष 1528 में मीरबाकी जोकि बाबर का सेनापति था एवं शिया मुस्लमान के द्वारा राम मंदिर को तोड़कर उसी के मलबे से जो एक मस्जिदरुपी विवादित ढ़ांचा बनाया गया था। जिसको लेकर आजतक कुछ कट्टरपंथी मुस्लिम समाज के मुल्ला राम मंदिर निर्माण के बाधा उत्पन्न किये हुए है।
अयोध्या में विवादित स्थल पर बोर्ड की दावेदारी करते हुए रिजवी ने कहा कि प्रकरण की असलियत अगर समझी जाए, तो सुन्नी वक्फ बोर्ड द्वारा एक अवैध अधिसूचना के जरिये 25 फरवरी 1944 में सुन्नी वक्फ घोषित करके आज तक इस पर न्यायालय में अपना हक जताकर लड़ाई लड़ी जा रही है। जबकि उस विवादित ढ़ाचे को बनाने वाला एक शिया मुस्लमान था और उसने ही मलबे से ढ़ाचे का निर्माण कराया था।
उन्होंने कहा कि वक्फ के नियमानुसार शिया समाज के व्यक्ति द्वारा वक्फ की श्रेणी में आने वाले धार्मिक स्थल का कोई निर्माण कराया जाता है तो उसे शिया वक्फ का ही माना जायेगा और जिस प्रदेश में शिया वक्फ बोर्ड अलग होगा, वहां शिया सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड ही उसका संरक्षक होगा। इस तरह से देखिए तो अयोध्या के ढ़ाचे का संरक्षक शिया सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड है।