नई दिल्ली : स्कूलों में बच्चों के पीठ पर बस्ते का बोझ एक बड़ा मुद्दा रहा है। अभिभावकों ने जहां इसे लेकर चिंता जताई है, वहीं डॉक्टरों ने भी बच्चों की सेहत की दृष्टि से इसे सही नहीं बताया है। बस्ते के बोझ को कम करने को लेकर समय-समय पर संबंधित विभागों की ओर से निर्देश भी जारी होते रहे हैं। कुछ महीने पहले मद्रास हाई कोर्ट ने बच्चों के पीठ से बस्ते का बोझ कम करने और पहली तथा दूसरी कक्षा तक के बच्चों को होमवर्क नहीं देने के निर्देश दिए थे, जो देशभर में चर्चा का विषय बन गई थी। अब केंद्र सरकार ने इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने इस संबंध में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश जारी किए हैं। इसमें राज्य सरकारों व केंद्र शासित प्रदेशों से कहा गया है कि वे स्कूलों में विभिन्न विषयों की पढ़ाई और स्कूल बैग के वजन को लेकर भारत सरकार के निर्देशों के अनुसार नियम बनाएं। इसमें कहा गया है कि पहली से दूसरी कक्षा के छात्रों के बैग का वजन 1.5 किलोग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए। इसी तरह तीसरी से 5वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के बैग का वजन 2-3 किलोग्राम, छठी से 7वीं के बच्चों के बैग का वजन 4 किलोग्राम, 8वीं तथा 9वीं के छात्रों के बस्ते का वजन 4.5 किलोग्राम और 10वीं के छात्र के बस्ते का वजन 5 किलोग्राम होना चाहिए।
हालांकि बच्चों के पीठ से बस्तों का बोझ कम करने के लिए पहले भी कई दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं, लेकिन स्कूलों ने इनकी धड़ल्ले से धज्जियां उड़ाईं। अभिभावकों को उम्मीद है कि स्कूल अब केंद्र सरकार की ओर से जारी निर्देशों को मानेंगे और उनके बच्चों के पीठ से बस्ते का बोझ कम हो सकेगा। उल्लेखनीय है कि चिल्ड्रन्स स्कूल बैग एक्ट, 2006 के तहत बच्चों के स्कूल बैग का वजन उनके शरीर के कुल वजन के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। हालांकि कई जगह इसकी अनदेखी हुई और स्कूलों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया।