नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि देश को निरंतर उच्च आर्थिक वृद्धि की राह पर बनाए रखने और त्वरित निर्णय के लिए केंद्र में मजबूत और निर्णायक सरकार का होना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी अर्थव्यवस्था को इतना मजबूत बनाना होगा कि हम कच्चे तेल के ऊंचे दाम और गिरते रुपए की चुनौतियों का आसानी से मुकाबला कर सकें। महंगाई को लेकर अरुण जेटली और सरकार को पिछले कुछ समय से आलोचानाओं का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में उनके इस बयान को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
उद्योग मंडल एसोचैम की 98वीं सालाना बैठक को वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिये संबोधित कर अरुण जेटली ने कहा कि अगर देश को उच्च वृद्धि के रास्ते पर आगे बढ़ते रहना है, अगर उच्च वृद्धि, उच्च राजस्व और अधिक संसाधन लगातार प्राप्त करते रहना है और देश में बेहतर ढांचागत सुविधाओं के लक्ष्य को हासिल करना है तो केंद्र में मजबूत और निर्णायक नेतृत्व होना जरूरी है।
वित्त मंत्री ने देश के समक्ष चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि भारत तेल का शुद्ध आयातक देश है। विश्व बाजार में कच्चे तेल की कृत्रिम तौर पर कमी पैदा कर दाम बढ़ाए जा रहे हैं। इसका अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि इस स्थिति का मुकाबला करने के लिए हमें तैयार रहना होगा। हमें इसका सामना करने के लिए क्षमता पैदा करनी होगी। इस समय कच्चे तेल के ऊंचे दाम से महंगाई बढ़ने का भी खतरा है क्योंकि इससे देश में पेट्रोलियम ईंधन के दाम बढ़ रहे हैं।
जेटली ने सरकार के समक्ष खड़ी तमाम राजनीतिक चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि ये सभी उस अस्थिर गठबंधन और महत्वकांक्षी राजनीतिज्ञों द्वारा पैदा की गई हैं, जो किसी तरह सत्ता पर काबिज होना चाहते हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि इस समय भारत को ऐसे व्यक्तियों की जरूरत नहीं, जिसके पास नीतियों और दिशा की समझ नहीं है। भारत को ऐसा गठबंधन भी नहीं चाहिए जो अंदर से ही अस्थिर हो। इस समय ऐसी सरकार और नेतृत्व की आवश्यकता है, जिसकी दिशा और सोच स्पष्ट हो ताकि भारत अपनी वर्तमान विशिष्ट स्थिति को बरकरार रख सके, जिसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने दुनिया में एक आकर्षक स्थान बताया है।