नैनीताल : न्यायमूर्ति जस्टिस राजीव शर्मा उत्तराखंड उच्च न्यायालय के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश होंगे। राष्ट्रपति की ओर से उनकी नियुक्ति का पत्र भारत सरकार के कानून एवं न्याय मंत्रालय के संयुक्त सचिव राजिंदर कश्यप की ओर से जारी हो गया है। न्यायमूर्ति शर्मा उत्तराखंड उच्च न्यायालय में 26 सितंबर 2016 से कार्यरत एवं वरिष्ठतम न्यायाधीश हैं। खास बात यह भी है कि उनकी नियुक्ति अब तक इस पद की जिम्मेदारी संभाल रहे न्यायमूर्ति केएम जोसेफ के सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के बाद कार्यभार त्यागने की तिथि से मानी जाएगी, जोकि रविवार को ही कार्यभार छोड़कर दिल्ली रवाना हो गए हैं।
उल्लेखनीय है कि न्यायमूर्ति राजीव शर्मा (जन्म 8 अक्टूबर 1958) मूलतः हिमांचल प्रदेश के निवासी हैं। उन्होंने अपनी एलएलबी की डिग्री हिमांचल प्रदेश विश्वविद्यालय से हासिल की, और 1982 में अधिवक्ता के रूप में नामांकित हुए। आगे वे 2002 में वरिष्ठ अधिवक्ता बनेे उन्होंने अधिवक्ता के रूप में प्रारंभिक प्रेक्टिस संवैधानिक कानून, प्रशासनिक कानून, सेवा संबंधित मामलों एवं पर्यावरणीय कानूनों के मामलों में विशेषज्ञता के साथ हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय से शुरू की। इस दौरान वे अमेरिका, चीन, इजिप्ट, श्रीलंका, म्यामार, थाइलेंड, वियतनाम, दुबई, न्यूजीलेंड, यूनाइटेड किंगडम, इटली, स्विटजरलेंड, बेल्जियम, जर्मनी, फ्रांस, डेनमार्क, स्वीडन, नॉर्वे, फिनलेंड तथा रूस की यात्रा भी कर चुके हैं। वे 3 अप्रैल 2007 को हिमांचल प्रदेश हाईकोर्ट में अतिरिक्त न्यायाधीश बने और 31 मार्च 2013 को नियमित हुए। 26 सितंबर 2016 को वे उत्तराखंड उच्च न्यायालय को स्थानांतरित हुए और तब से यहां हैं। इस दौरान उनके द्वारा अनेक जनहित याचिकाओं की सुनवाई की गयी, तथा पहले गंगा नदी एवं बाद में अन्य जल राशियों को जीवित मानव का दर्जा देने के साथ ही जिम कार्बेट पार्क, देहरादून, भवाली आदि शहरों को अतिक्रमण मुक्त करने के फैसले महत्वपूर्ण रहे हैं।