नई दिल्ली: भारी हंगामे के बीच लोकसभा में जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) बिल पास हो गया। इसके साथ ही राज्य में राष्ट्रपति शासन का समय 6 महीने के लिए बढ़ गया है। पहले राष्ट्रपति शासन का समय 3 जुलाई को समाप्त होने वाला था। कांग्रेस ने सदन में इस बिल का खूब विरोध किया। वहीं अमित शाह ने कहा कि चुनाव आयोग जब भी कहेगा जम्मू-कश्मीर में निष्पक्ष चुनाव कराए जाएंगे।
शाह ने बिल का समर्थन करते हुए कहा कि मोदी सरकार की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति है। उन्होंने कहा कि हमारा विचार है कि देश की सीमाओं की रक्षा हो और देश आतंकवाद से मुक्त रहे।
Lok Sabha approves the statutory resolution to extend President's rule in Jammu & Kashmir for a further period of 6 months with effect from 3rd July, 2019. https://t.co/j4ZKEs6srl
— ANI (@ANI) June 28, 2019
वहीं कांग्रेस ने इस बिल विरोध किया। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि बीजेपी और पीडीपी के गठबंधन के कारण स्थिति ऐसी बन गई है कि राज्य में राष्ट्रपति शासन की सीमा बढ़ानी पड़ रही है। तिवारी ने कहा, ‘अगर आपकी नीति आतंकवाद के खिलाफ कठोर है तो हम उसका विरोण नहीं करते। लेकिन यह बात ध्यान रखने की है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई तभी जीती जा सकती है अगर राज्य के लोग आपके साथ हों।’
क्या कहता है आरक्षण संशोधन बिल
इस विधेयक के तहत जम्मू कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा के 10 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले लोगों को शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में 3 फीसदी आरक्षण को विस्तार दिया गया है। जम्मू कश्मीर आरक्षण अधिनियम सीधी भर्ती, प्रमोशन और विभिन्न श्रेणियों में कई व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आरक्षण देता है, लेकिन इसका विस्तार अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे व्यक्तियों के लिए नहीं था। लेकिन इस बिल के कानून बन जाने के बाद यह लोग भी आरक्षण के दायरे में आ जाएंगे।
इस इलाके को पाकिस्तानी सेना की फायरिंग का सामना करना पड़ता है, जिससे लोगों को अक्सर सुरक्षित जगहों पर जाने के लिए बाध्य होना पड़ता है। सरकार ने इन लोगों की सुरक्षा के लिए सीमावर्ती इलाकों में बंकरों का निर्माण भी कराया है लेकिन आए दिन सीज फायर उल्लंघन की घटनाओं में यहां जान और माल का काफी नुकसान होता है। अमित शाह ने लोकसभा में कहा, “सीमा पर लगातार तनाव के कारण, अंतररार्ष्ट्रीय सीमा से लगे व्यक्तियों को सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक पिछड़ेपन को झेलना पड़ता है।”