नई दिल्ली: जिन्ना के जिन्न से तो आप लोग अच्छी तरह से परिचित होंगे ही। इसी साल अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के सेंट्रल हाॅल की दीवार पर जिन्ना की तस्वीर लगी होने का मामला सामने आने के बाद पूरे देश में राजनीतिक माहौल गरमा गया था। देश में जरूरी मसलों के बजाय युनिवर्सिटी में जिन्ना की तस्वीर लगा होना मुद्दा बन गया था। आजादी के महासंग्राम से बंटवारे तक की कहानियों को याद किया जाने लगा था। कई टीवी चैनलों ने तो बाकायदा पुराने दिनों की फुटेज को भी दिखाया। ऐसा लग रहा था कि बंटवारा तब नहीं, बल्कि आज हुआ होगा। अब एक बार फिर से जिन्ना का जिन्न बाहर निकला आया है। देखना यह होगा कि इस बार का जिन्न अपनी जादुई शक्ति से क्या गुल खिलाता है। राजनीति फिर से गरमाती है या ठंडी पड़ी रहेगी।
अब आपको नए जिन्ना, जिन्न के बारे में बाताते हैं। दरअसल, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में एक बार फिर जिन्ना की तस्वीर लगाने से विवाद खड़ा हो गया। दो अक्टूबर को गांधी जयंती के मौके पर मौलाना आजाद लाइब्रेरी में एक प्रदर्शनी लगाई गई। इस प्रदर्शनी में गांधी जी के जीवन से जुड़े हुए पहलुओं को दिखाया गया, लेकिन प्रदर्शनी में जिन्ना की तस्वीर भी लगा दी गई। यहां जिन्ना की एक नहीं, बल्कि जिन्ना से संबंधित कई फोटो को प्रदर्शनी में लगाया गया था।
दो दिनों तक चली इस प्रदर्शनी में हालांकि पहले जिन्ना की तस्वीर पर ध्यान नहीं दिया गया, लेकिन जब एएमयू प्रशासन के उच्चाधिकारियों तक यह मामला गया, तो मौलाना आजाद लाइब्रेरी के लाइब्रेरियन डॉ० अमजद अली को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया। इस मामले में एएमयू के जनसंपर्क विभाग के मेंबर इंचार्ज साफे किदवई ने बताया कि यह एएमयू के आर्काइव विभाग से जुड़ी तस्वीर है और गांधी जी के जीवन से छात्रों को अवगत कराने के लिए यह प्रदर्शनी लगाई गई थी।
साफे किदवई ने यह भी बताया कि विश्वविद्यालय की मौलाना आजाद लाइब्रेरी के पदाधिकारी इस बात का फैसला करते हैं कि कौन सी तस्वीर लगाई जाएगी और कौन सी किताबें प्रदर्शनी में रखी जाएं। उन्होंने बताया कि जिन्ना को लेकर पहले विवाद हो चुका है, इसलिए फोटोग्राफ को प्रदर्शनी से हटवा दिया गया था और लाइब्रेरियन डॉ. अमजद अली को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। दो दिन की प्रदर्शनी के बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इस मामले को संज्ञान में लिया है।