नई दिल्ली: जेट एयरवेज (Jet Airways) ने आपातकालीन मदद नहीं मिलने के बाद अपने सभी ऑपरेशंस पर अस्थाई तौर पर रोक लगा दी है। जेट एयरवेज (Jet Crisis) का यह फैसला ऋणदाताओं द्वारा जेट के अतिरिक्त धन के अनुरोध को अस्वीकार करने के बाद सामने आया है। ऋणदाताओं ने जेट को 400 करोड़ रुपये का इमरजेंसी फंड देने से इनकार कर दिया था।
बता दें कि 25 साल पुरानी इस एयरलाइन कंपनी पर 8,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है। अगर कंपनी बंद होती है तो 20 हजार लोगों की नौकरी चली जाएगी। एयरलाइन ने पहले ही 18 अप्रैल तक अपने सभी अंतरराष्ट्रीय संचालन को निलंबित कर दिया था।
जेट एयरवेज के सीईओ ने बताया कि यह फैसला आसान नहीं था। उन्होंने कहा कि फंड के लिए हर संभव कोशिश की गई लेकिन कोई रिजल्ट निकलकर नहीं आ पाया। उन्होंने कहा कि हमने अंतरिम फ़ंडिंग के लिए बार-बार अपील की लेकिन कुछ नहीं हुआ। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जेट के कर्मचारियों को घर से काम करने को कहा गया है। सिर्फ HOD और कुछ स्टाफ जो क्रिटिकल ऑपरेशंस को डील करते हैं वहीं ऑफिस आएंगे। हालांकि अस्थाई तौर पर ऑपरेशन बंद करने की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। मंगलवार को समाचार एजेंसी पीटीआई ने नागरिक उड्डयन सचिव प्रदीप सिंह खारोला के हवाले से बताया था कि कंपनी फिलहाल केवल पांच विमानों का परिचालन कर रही है।
इससे पहले संकट में घिरे दिग्गज शराब कारोबारी विजय माल्या ने बुधवार को जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल के साथ एकजुटता प्रकट की। इसके साथ ही उन्होंने भारतीय बैंकों से लिए गए ऋण को लौटाने की अपनी पेशकश भी दोहरायी। करीब 9,000 करोड़ रुपये की वित्तीय धोखाखड़ी एवं धनशोधन के आरोपों का सामना कर रहे कारोबारी माल्या ने दावा किया कि भारत सरकार निजी विमानन कंपनियों के साथ भेदभाव कर रही है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने सरकारी एयरलाइन एयर इंडिया को सहायता राशि दी, जबकि किंगफिशर एयरलाइन एवं अब जेट एयरवेज को संकट से उबारने में सरकार ने मदद नहीं की।
विजय माल्या ने ट्वीट किया, ”हालांकि एक समय में जेट, किंगफिशर की बड़ी प्रतिद्वंद्वी हुआ करती थी लेकिन इस समय एक बड़ी एयरलाइन को विफलता के कगार पर पहुंचता देख मुझे दुख हो रहा है। सरकार ने एयर इंडिया को संकट से उबारने के लिए 35,000 करोड़ रुपये की सहायता राशि दी। पीएसयू होना भेदभाव का आधार नहीं हो सकता।” उन्होंने कहा, ”मैंने किंगफिशर में काफी अधिक निवेश किया। वह एयरलाइन तेजी से बढ़ी और भारत की सबसे बड़ी और सबसे अधिक पुरस्कृत एयरलाइन बन गयी। ये सच है कि किंगफिशर ने सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों से भी कर्ज लिया। मैंने 100 प्रतिशत कर्ज लौटाने की पेशकश की, इसके बावजूद मुझ पर आपराधिक आरोप लगाये जा रहे हैं…”