PM @narendramodi जी, आप कहते हैं ‘न खाऊँगा, न खाने दूँगा.’ जो खाने वालों को इक्स्पोज़ करेगा, उन्हें कौन बचाएगा?@PiyushGoyal @PMOIndia @myogiadityanath @Uppolice pic.twitter.com/dfG8cMANOn
— Manak Gupta (@manakgupta) June 12, 2019
घटना के मुताबिक शामली में न्यूज़ 24 चैनल के पत्रकार अमित शर्मा बुधवार तड़के धीमनपुरा में ट्रेन के पटरी से उतरने की सूचना मिलने पर उसे कवर करने पहुंचे थे। इसी मौके पर मौके पर मौजूद सरकारी रेलवे पुलिस (जीआरपी) के जवानों ने उनसे मारपीट की और कैमरा भी छीन लिया। इस दौरान उनका एक मोबाइल फोन भी गुम गया। आरोप है कि ये पुलिस वाले अमित शर्मा की इससे पहले उनके कथित भ्रष्टाचार को उजागर करने वाली एक रिपोर्ट से नाराज़ थे। पत्रकार अमित शर्मा का कहना है कि पुलिस वालों ने उनकी एक न सुनी और पिटाई करते रहे। इसके बाद उन्हें हवालात में बंद कर दिया। इसके बाद अमित को रात भर थाने में बैठाए रखा गया। साथी पत्रकारों के धरने के बाद सुबह उन्हें छोड़ा गया।
घटना की जानकारी मिलने पर कई स्थानीय पत्रकार थाने पहुंचे और वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क की कोशिश की। स्थानीय पत्रकारों ने सोशल मीडिया पर अमित शर्मा की पिटाई का वीडियो भी डाल दिया। जो वायरल हो गया और पूरे देश को इसकी ख़बर मिली।
मारपीट के अलावा अमित शर्मा के हवालात में बंद होने का एक और वीडियो सामने आया है। जिसमें आरोपी जीआरपी जवान आराम से बैठा है और अमित शर्मा सलाखों के पीछे से अपने ऊपर हुई ज़्यादती का बयान कर रहे हैं।
न्यूज़ 24 का पत्रकार रेलवे के खिलाफ न्यूज़ चलाने की कोशिश कर रहा था, पुलिस ने उसे मारा पीटा उसके मुंह में पेशाब किया और जेल में बंद कर दिया।
पत्रकार भाइयों यह तो अभी शुरूआत है, सत्ता के खिलाफ पत्रकारिता करना इस देश में अपराध बनने वाला है।
जय श्री राम?pic.twitter.com/srtnYPUrAn
— Amit Mishra (@Amitjanhit) June 12, 2019
We have come across a video where a journalist has been beaten up & put up in a lock up. DGP UP OP Singh has ordered for immediate suspension of SHO GRP Shamli Rakesh Kumar & Const. Sanjay Pawar.
Strict punishment shall be accorded to policemen misbehaving with citizens.— UP POLICE (@Uppolice) June 12, 2019
आपको बता दें कि यूं तो देशभर में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमले बढ़े हैं। लेकिन पिछले कुछ दिनों में उत्तर प्रदेश में पत्रकारों पर इस तरह की कार्रवाई में तेज़ी आई है। अभी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ सोशल मीडिया पर तथाकथित आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए एक पोस्ट साझा करने के आरोप में पत्रकार प्रशांत कनौजिया को दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया गया था। इसी मामले में उनके अलावा कुछ अन्य पत्रकार भी गिरफ्तार हुए। जिसके विरोध में सोमवार को दिल्ली में पत्रकारों ने प्रदर्शन भी किया था और मंगलवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने न केवल प्रशांत कनौजिया की गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताते हुए उनकी रिहाई के आदेश दिए। बल्कि ये भी स्पष्ट तौर पर कहा कि आज़ादी का अधिकार मौलिक अधिकार है और इससे समझौता नहीं किया जा सकता। और शामली के तो इस ताज़ा मामले में रिपोर्टिंग करने गए पत्रकार से उनकी पुरानी रिपोर्ट से नाराज़गी के चलते मारपीट और इस तरह का अमानवीय व्यवहार किया गया। यानी अब पत्रकारों को अपना काम करने से भी रोका जाएगा और कोई रिपोर्ट पसंद न आने पर पीटा जाएगा। हवालात में डाल दिया जाएगा। तो क्या अब कोई भी रिपोर्ट करने से पहले सरकार और पुलिस-प्रशासन से इजाज़त लेनी होगी।