रिपोर्टर – नरेश नौटियाल
जौनपुर: अपनी लोक संस्कृति के लिए देश विदेश में प्रसिद्ध जौनपुर के बंगलो की कांडी में पहाड़ी दिवाली का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया गया। जिसे स्थानीय भाषा में बग्वाल कहा जाता है, इसमें पटाखों की जगह होल्डे खेले जाते हे जो एक पारंपरिक रिवाज है। इस पहाड़ी दिवाली (बग्वाल) को लेकर कई पौराणिक मान्यता व कहानियां है। पौराणिक मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि जब भगवान राम चन्द्र चौदह साल के वनवास के बाद अयोध्या पहुंचे तो अयोध्या वासियों ने उनका दिए जलाकर स्वागत किया। लेकिन कहा जाता है कि, गढ़वाल छेत्र में भगवान राम के अयोध्या आने की खबर एक महीने बाद मिली, जिससे पहाड़ो में दिवाली एक महीने बाद मनाते है। इस दिवाली में सभी के घरो में विभिन्न तरह के पकवान पूरी, चुडा, आदि बनाये जाते है।
वंही इस बग्वाल में घास का एक लम्बा रस्सा बनाकर खींचते है जिसे भांड कहा जाता है। सबसे पहले युवा लड़के इस घास को लेने के लिए जाते है उसके बाद उन युवाओ के पैर धोकर व तिलक लगाकर उनको भोजन कराया जाता है। कहा ये भी जाता हे कि ये घास का रस्सा नाग देवता का रूप होता है और सभी ग्रामवासी इस रस्से को पूजकर बुडी दिवाली को नाच गानों के साथ बड़ी धूम धाम से मानते है दिल्ली से आये पर्यटकों ने भी बुडी दिवाली का भरपुर आनंद लिया। उन्होंने कहा कि यंहा आकर बहुत अच्छा लगा और इस तरीके के पुराने रीति रिवाज को कायम रखना चाहिए, जिससे यंहा पर्यटन को बढावा मिलेगा।