टोक्यो: मंगलवार से जापान में एक नए युग की शुरुआत हुई है। यहां पर महाराजा अकिहितो ने अपना पद छोड़ा है। 59 वर्षीय नारुहितो, अकिहितो के बेटे हैं और अब जापान में उनका राजकाज चलेगा। जापान के इतिहास में यह 200 वर्षों के बाद पहला मौका था जब किसी राजा ने अपना पद छोड़ा है।
महिलाओं को नहीं थी अनुमति
नारुहितो मंगलवार मध्यरात्रि से जापान के आधिकारिक सम्राट बन गए हैं लेकिन बुधवार को सारी आधिकारिक प्रक्रियाएं पूरी हुईं। इन प्रक्रियाओं में शाही परिवार की महिलाओं को भी शामिल नहीं होने दिया जाता है। इसलिए नारुहिता की पत्नी मसाको भी इससे दूर ही रहीं। सम्राह नारुहितो इंपीरियल पैलेस के पाइन रुम में दाखिल हुए। उन्होंने अपौचारिक पश्चिमी परिधान पहना हुआ था जिसमें ऑफिस की एक भारी सोने की चेन भी थी। उनके साथ परिवार के पुरुष सदस्य थे जिसमें उनके भाई अकिशिनो भी शामिल थे। नारुहितो को इस दौरान वह सारा सामान सौंपा गया जो उनके पिता अकिहितो ने एक दिन पहले ही छोड़ दिया है। नारुहितो ने एक समारोह में औपचारिक रूप से ‘क्रिसेंथमम थ्रोन’ (राजगद्दी) ग्रहण किया।
जापान के 126वें राजा नारुहितो
इसके साथ ही जापानी राजशाही का नया युग ‘रेइवा’ जिसका मतलब होता है, सुन्दर सौहार्द शुरू हो गया। इंपीरियल पैलेस में हुए राजतिलक के दौरान नारुहितो को शाही तलवार, शाही आभूषण, राज्य की मुहर और व्यक्तिगत मुहर सौंपी गई। इस कार्यक्रम में सिर्फ एक महिला को आने की अनुमति थी और वही थीं प्रधानमंत्री शिंजो आबे की कैबिनेट में एकमात्र महिला मंत्री। रागद्दी संभालने के बाद नारुहितो ने अपना पहला संबोधन दिया। इसमें उन्होंने कहा, ‘दुनिया में शांति के लिए प्रार्थना के साथ ही देश की जनता को भरोसा दिलाता हूं कि हमेशा उनके साथ खड़ा रहूंगा। उन्होंने कहा कि उनके कामों में उनके पिता आकिहितो की झलक दिखाई देगी। आकिहितो को विश्व के प्राचीनतम साम्राज्य को जनता के करीब लाने वाला राजा माना जाता है। नारुहितो देश के 126वें सम्राट हैं। वह शनिवार को फिर से देश को संबोधित करेंगे।