देहरादून: सरकार एक तरफ तो कर्ज में डूबे होने का रोना रोती है। विकास कार्यों के लिए बजट नहीं होने का बहाना बनाती है। दूसरी ओर अधिकारियों के विदेशी दौरों पर खूब खर्च किया जा रहा है। अधिकारियों ने विदेशी दौरे तो किए, लेकिन उनसे राज्य को क्या हासिल हुआ। सरकार के पास इसका कोई हिसाब-किताब नहीं है। अगर मंत्री और अधिकारी सरकारी खर्चे पर विदेश भ्रमण पर जाते हैं, तो उसका हिसाब भी उनको देना चाहिए, लेकिन फिलहाल सरकार ने सामान्य ढंग से दूर की बात आरटीआई में भी इसकी जानकारी नहीं है। और तो और प्रदेश के सूचना निदेशक डाॅ. पंकज कुमार पांडे अपने कार्यालय में भले ही कम पहुंचते हों, लेकिन एक साल में विदेश दौरे पर पांच बार जरूर घूम आए।
प्रदेश में विकास कार्य भले ही ना हों। राज्य के विकास की योजनाएं बनाने के लिए जिन आईएएस अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है। वे अधिकारी प्रदेश के दूरस्थ जिलों में कई-कई बार कहने के बाद भी नहीं पहुंचते। चाहे मुख्यमंत्री का ही आदेश क्यों न हो। जाएंगे भी कैसे वाहं हवाई यात्रा की सुविधा जो नहीं है। लेकिन, अगर अधिकारियों को विदेश यात्रा के लिए कहा जाए, तो वे तत्पर रहते हैं। आरटीआई में इसका खुलासा भी हुआ है। शासन से सूचना मांगी गई कि कितने अधिकारी पिछले एक साल में विदेश यात्रा पर गए हैं और उन्होंने क्या काम किया। सरकार ने अधिकारियों के विदेशी दौरों की जानकारी भले ही दे दी हो, लेकिन क्या काम किया। उसके बारे में नहीं बताया। विदेशी दौरों में सबसे पहले पायदान पर पंकज कुमार पांडे रहे। इनके अलावा सी. रविशंकर, अमित सिंह नेगी, आर. मीनाक्षी सुंदरम, धीराज सिंह गब्र्याल, आर. राजेश कुमार, चंद्रेश कुमार यादव, विनोक कुमार सुमन समेत कई अन्य अधिकारी भी हैं, जिनको विदेशी दौरा पड़ा, लेकिन दौरे पर क्या किया और उसका राज्य को क्या लाभ हुआ। उसका कहीं अता-पता नहीं है।