जम्मू-कश्मीर: देशभर में माता के कई मंदिर हैं और हर मंदिर का अपना धार्मिक महत्व तथा स्थापना से जुड़ी रोचक कहानी है। कश्मीर में खीर भवानी माता का मंदिर है, जहां माता की स्थापना रामभक्त हनुमान ने की थी।
मान्यता के अनुसार, यह रामायण काल की बात है। पहले खीर भवानी माता का मंदिर श्रीलंका में था। यहां माता की स्थापना रावण ने की थी। रावण ने कड़ी साधना कर माता को प्रसन्न किया था और मंदिर बनाया था। हालांकि बाद में रावण के बुरे कार्यों से माता रुठ गई थी।
माता सीता की तलाश में जब हनुमान जी लंका पहुंचे तो माता ने इस राम भक्त से कहा कि वह उन्हें अन्यत्र स्थापित करे। तब हनुमानजी ने माता को कश्मीर के तुलमुल गांव में स्थापित किया था। आज भी यह मंदिर श्रीनगर से 14 किलोमीटर दूर गान्दरबल जिले में स्थित है।
खीर भवानी के रूप में यहां देवी दुर्गा विराजित हैं। स्थानीय लोगों में यह मंदिर महारज्ञा देवी़, राज्ञा देवी मंदिर, रजनी देवी मंदिर और राज्ञा भवानी मंदिर के नाम से भी प्रसिद्ध है। देवी को पारंपरिक रूप से वसंत ऋतु में खीर चढ़ाई जाती है, इसलिए इनका नाम खीर भवानी पड़ा।
मान्यता है कि किसी प्राकृतिक आपदा के आने से पहले मंदिर के कुंड का पानी काला पड़ जाता है। इस तरह स्थानीय लोगों को संकट की सूचना पहले ही मिल जाती है। लोग इसे माता का चमत्कार मानते हैं। हिंदुओं के साथ ही गैर-हिंदुओं की भी यहां भारी आस्था है।
इस मंदिर का पुन: निर्माण 1912 में महाराजा प्रताप सिंह द्वारा करवाया गया जिसे बाद में महाराजा हरी सिंह द्वारा पूरा किया गया। इस मंदिर से जुडी एक प्रमुख किवदंती ये है कि सतयुग में भगवान श्री राम ने अपने निर्वासन के समय इस मंदिर का इस्तेमाल पूजा के स्थान के रूप में किया था।