बड़कोट: राजनीति में कुर्सी का खेल सबसे रोचक हौर जोखिम वाला होता है। ये खेल बहुत कुछ करवा देता है। कुर्सी हासिल करने के लिए नेता कई तरह के दांव खेलते हैं। कई बार तो अपने खास लोगों को ही दांव पर लगा देते हैं, लेकिन कभी-कभार ये दांव उल्टे पड़ जाते हैं। दूसरों को चित करने के लिए चले इन दंवा-पेचों से खुद ही चित हो जाते हैं। कुछ ऐसा ही क्षेत्रफल के हिसाब से प्रदेश के सबसे बड़े जिले उत्तरकाशी की जिला पंचायत अध्यक्ष जसोदा राणा के साथ हुआ। उन्होंने बड़कोट नगर पालिका की कुर्सी हासिल करने के लिए अपनी जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी को ही दांव पर लगा दिया। ये दांव ऐसा उल्टा पड़ा की उनको जल्द जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी से हाथ धोना पड़ सकता है। जिला स्तर पर इसकी कार्रवाई भी शुरू हो चुकी है।
नगर पालिका के लिए जिला पंचायत अध्यक्ष जैसे बड़े ओहदे को दांव पर लगाने को लेकर जसोदा राणा की तो आलोचाना हो ही रही है। अब पार्टी पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं कि क्या पार्टी के पास ऐसा कोई चेहरा नहीं था, जिसको नगर पालिका के चुनावी समर में पार्टी उतार सके। दूसरा सवाल यह है कि नगर पालिका में ऐसा क्या है कि नगर पालिका अध्यक्ष की कुर्सी हासिल करने के लिए जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी ही दांव पर लगा दी। जिसका छिनना अब तय माना जा रहा है।
दअरसल, जसोदा राणा ने नगर निकाय के चुनावों की सरगर्मियां शुरू होते ही, करीब चार माह पहले अपना नाम ग्राम पंचायत कंसेरू की वोटर लिस्ट से हटवाकर बड़कोट नगर पालिका में दर्ज कराने का आवेदन कर दिया था। इस बीच उनका जिला पंचायत के सहयोगी सदस्यों से विवाद हो गया। उनकी कुर्सी जाने के पीछे ये विवाद भी बड़ा कारण बना। जिला पंचायत सदस्य दीपक जिबल्वाण ने ही उनके खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने ही इस बात का खुलासा किया था, जसोदा राणा को नाम देहरादून नगर निगम में भी दर्ज है। एक और बड़ी बात यह है कि अपने पद से पहले त्याग पत्र भी दे चुकी हैं। हालांकि इसको लेकर अभी स्थिति साफ नहीं है, लेकिन इतना तय है कि अब वो जिला पंचायत अध्यक्ष शायद ना रह पाएं।
जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर बने रहने के लिए उनका नाम ग्राम पंचायत की वोटर लिस्ट में होना जरूरी है। लेकिन, उस सूची से पहले नाम हटाया जा चुका है। फिर से नाम चढ़वान के लिए लिए उनको देहरादून नगर निगम से नाम कटवाना होगा। अगर ऐसा हो भी जाए, तब भ्ज्ञी उनका जिला पंचायत अध्यक्ष बना रह पाना मुश्किल है। माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में जिला पंचायत अध्यक्ष की जिम्मेदारी या तो प्रशासक को सौंपी जाएगी या फिर किसी दूसरे सदस्य को जिम्मेदारी दी जाएगी। साथ ही नए अध्यक्ष के निर्वाचन की प्रक्रिया भी शुरू कराई जाएगी।