देहरादून: मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मीडिया सेंटर, सचिवालय में आयोजित कार्यक्रम में राज्य के निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न विभागों द्वारा तैयार की गई 9 नीतियों का विमोचन किया। इनमें वृहत् औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति 2018, उत्तराखण्ड सौर ऊर्जा नीति, उत्तराखण्ड आयुष नीति 2018, बायोटेक्नोलोजी पॉलिसी 2018-23, पिरूल व अन्य प्रकार के बायोमास से विद्युत उत्पादन हेतु नीति-2018, उत्तराखण्ड एरोमा नीति 2018, ऑप्टीकल फाईबर व मोबाईल टावर स्थापना हेतु दिशा-निर्देश नीति, उत्तराखण्ड इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माणक ई.वी. उपयोग संवर्धन और संबंधित सेवा अवसंरचना नीति 2018 व उत्तराखण्ड पर्यटन नीति 2018 शामिल हैं।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि 7 व 8 अक्टूबर को देहरादून में होने वाले इन्वेस्टर्स समिट के लिए देश के विभिन्न प्रमुख स्थानों पर रोड़ शो आयोजित किए गए थे। इनमें वहां के प्रमुख उद्योगपतियों व औद्योगिक संगठनों से वार्ता में अनेक महत्वपूर्ण सुझाव मिले। साथ ही अन्य राज्यों में निवेश के लिए बनाई गई नीतियों का गहराई से अध्ययन किया गया। उत्तराखण्ड में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न सम्भावनायुक्त क्षेत्रों की पहचान करते हुए नई नीतियां बनाई गईं। इनमें उद्यमियों से मिले सुझावों को भी समाहित किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इन्वेस्टर्स समिट के लिए व्यापक होमवर्क किया गया है। निवेश को बढ़ावा देने के लिए सभी आवश्यक प्राविधान किए गए हैं। एक माह में 5 बार कैबिनेट की बैठक की गई हैं। जबकि सामान्य रूप से एक माह में 2 बार ही कैबिनेट की बैठक होती है।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि प्रारम्भ में 40 हजार करोड़ के एमओयू होने का अनुमान लगाया जा रहा था। परंतु विभिन्न स्थानों पर रोड़ शो द्वारा उद्यमियों से किए गए सम्पर्क से सकारात्मक रेस्पोंस मिला है। इसी का परिणाम है कि अभी तक प्रदेश में 74 हजार करोड़ रूपए के निवेश के प्रस्ताव मिले हैं जबकि 60 हजार करोड़ रूपए के एमओयू हो चुके हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘उत्तराखण्ड डेस्टीनेशनः इन्वेस्टर्स समिट 2018’ से प्रदेश में निवेश के दृष्टिकोण से नए युग का सूत्रपात होगा। पर्वतीय क्षेत्रों का विकास राज्य सरकार की प्राथमिकता में है। सौर ऊर्जा, फूड प्रोसेसिंग, हर्बल, ऑरगेनिक, आयुष व पर्यटन में होने वाले निवेश से मुख्यतः पर्वतीय क्षेत्रों के लोगों को लाभ मिलेगा। उद्यमियों ने इन क्षेत्रों में काफी रूचि दिखाई है। सोलर पावर नीति में 5 मेगावाट तक के प्रोजेक्ट में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी। पिरूल व अन्य प्रकार के बायोमास से विद्युत उत्पादन हेतु नीति-2018, पर्वतीय क्षेत्रों के लोगों की आजीविका के लिए महत्वपूर्ण होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि औद्योगिक इकाईयों की स्थापना के लिए हमारे पास पर्याप्त भूमि है। कुछ और क्षेत्रों का भी चयन किया गया है। पर्वतीय जनपदों में पहले से ही लघु औद्योगिक आस्थान स्थापित हैं। जिलाधिकारियों को और भी भूमि चयनित करने के लिए कहा गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आॅल वेदर रोड़ व रेल पर राज्य में काफी काम चल रहा है। हवाई कनेक्टीवीटी भी बढ़ी है। बारिश में सड़कों को खोलने में रेस्पोंस समय में कमी आई है।