देहरादून: प्रदेश सरकार में मंत्री रेखा आर्य की बेनामी संपत्ति खरीद मामले का आॅडियो टेप इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। उनके पति गिरधारी लाल साहू उत्तर प्रदेश में हिस्ट्रीशीटर घोषित हैं। जमीन खरीद में धोखाधड़ी के उन पर कई मामले दर्ज हैं। रुद्रपुर जिले में भी कुछ मामले दर्ज हैं। उनके पति पर आरोप है कि वे अपने नौकर गिरीश जोशी को मोहरा बनाकर जमीनों की खरीद फरोख्त करते हैं। गिरीश जोशी भी मंत्री रेखा आर्य और उनके पति की जमीनों की खरीद उनके नाम से करने की बात खुले आम स्वीकार करता है। हैरत की बात यह है कि पिछले साल तक गिरीश जोशी करोड़ों का आयकरभर भी रिर्टन कर चुका है, जबकि उसके पास आय का कोई साधन नहीं है। हैलो उत्तराखंड न्यूज के पास इस मामले के पुखता सुबूत हैं।
गिरीश जोशी का साफ कहना है कि उनके नाम पर मंत्री और उनके पति जमीनों की खरीद फरोख्त करते थे, लेकिन अब नहीं कर रहे हैं। गिरीश ने पूरे मामले के लिए हरीश रावत को जिम्मेदार ठहराया है। उसका कहना है कि वह चुनाव के दौरान आठ नौ महीने उनके साथ रहा भी है। इधर, गिरीश जोशी के आॅडियो की जांच पर आयकर विभाग की जांच विंग कुछ भी कहने का तैयार नहीं हैं। अधिकारी फोन तक रिसीव करने को तैयार नहीं हैं।
बहरहाल जो भी हो। इस मामले में जीरो टाॅलरेंस की बात करने वाले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को मामले की जांच करानी चाहिए। उनकी और केंद्र की मोदी सरकार भ्रष्टाचार को समाप्त करने के दावे करती है, लेकिन इस मामले में अब तक कुछ भी नहीं बोले। इससे पहले मंत्री रेखा आर्य के पति पर किडनी चोरी का भी आरोप भी लगा था। बावजूद इसके सरकार चुप्पी साधे हुए है।
यह है मामला
असल मामला यह है कि गिरीश जोशी को 2014 में आयकर विभाग का नोटिस आया था, जिसमें उसने करीब 85 लाख का टैक्स भरा था। गिरीश की मानें तो पहले भी करोड़ों रुपये का टैक्स दिया है। उसका एक्सिस बैंक में खाता था, जो अब बंद हो चुका है। गिरीश चंद्र जोशी ने 21 जनवरी 2014 को तहसील किच्छा के सिरोली खुर्द गांव में एकता रानी पुत्री मदन मोहन मदान से 1.49991 हेक्टेयर करीब 3.70 एकड़ जमीन एक करोड़ 35 लाख रुपये में खरीदी थी। इससे पहले भी उसके नाम से जमीनें खरीदी गई। सवाल यह है कि जब उसका आय का कोई साधन नहीं है तो वह जमीनें कैसे खरीदता है। आयकर विभाग के पास पूरे सुबूत भी हैं। बावजूद इसके मंत्री रेखा आर्य और उनके पति के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
ताजा विवाद का कारण
विवाद पुराना जरूर है, लेकिन इसमें हाल ही में नया मोड़ आया है। दरअसल, जो मीन गिरीश जोशी के नाम पर 2014 में खरीदी गई थी। उसका एक हिस्सा आयकर विभाग की जांच के जारी होने के बावजूद मंत्री रेखा आर्य के नाम कर दिया गया। उन्होंने गिरीश चंद्र जोशी से यह जमीन कुल 12 लाख बत्तीस हजार में खरीदी। इस रजिस्ट्री में भी यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि यह धनराशि किस बैंक के जरिए गिरीश जोशी के खाते में डाली गई। न ही यह स्पष्ट है कि उनहोंने नकद भुगतान किया है। सवाल यह भी है कि गिरीश जोशी के अनुसार उसका अब कोई बैंक खाता नहीं है। फिर जमीन के बदले जो रकम दी गई। क्या वह नकद दी गई है । ऐसे ही कई और सवाल भी हैं, जिनके जवाब जाँच से ही पता चल सकते हैं। अब देखाना यह है कि जीरो टाॅलरेंस नीति का सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत कितना पालन करते हैं। जमीन की खरीद का मामला सामने आने के बाद इस पर आयकर विभाग के अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।