खबर का असर: प्रदेश के दो निगम सवालों के घेरे में!

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देहरादून : केंद्र सरकार ने  सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन के साथ रोजगार और पहाड़ से पलायन रोकने के लिए 300 मेगावाट ग्रिड कनेक्टेड रूफटॉप सोलर पावर प्लांट योजना उत्तराखंड को दी थी। इस योजना में केंद्र सरकार की तरफ से लाभार्थी को 70 फीसदी सब्सिडी देने का प्रावधान भी था। लेकिन गोरखधंधे का चक्र ऐसा लगा कि कुछ खास लोगों को ही योजना लाभ मिला।

बीते शुक्रवार को हैलो उत्तराखंड न्यूज़ ने बेबाकी से प्रदेश के यूपीसीएल और उरेडा के काले कारनामों का पर्दाफाश किया था। खबर का असर ऐसा हुआ कि राज्य के दोनों निगमों के दो पीड़ित की कहानी हमारे सामने आ गयी।

पीड़ित कवीन्द्र सिंह ने हमसे बात करते हुए कहा कि जब इस अनियमितता को लेकर कुछ लोगों ने भारत सरकार की “मिनिस्ट्री ऑफ न्यू एण्ड रिन्यूवल इनर्जी” (MNRE) से शिकायत की तो MNRE ने इस मामले की जांच के लिए एक टीम गठित की। जिसमें MNRE के एक अफसर, सोलर इनर्जी ऑफ इंडिया के ज्वाइंट डायरेक्टर और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सोलर इनर्जी के डायरेक्टर के साथ एक ज्वाइंट टीम ने रेंडमली 11 प्लांटों की अचानक जांच की। जांच में 3.85 मेगावाट के 10 प्लांट ऐसे पाए गए जिन्हें सब्सिडी मिल ही नहीं सकती थी। बावजूद इसके उन्हें 100 प्रतिशत सब्सिडी रिलीज़ कर दी गई। जांच में अनियमितता पाए जाने के बाद MNRE ने सब्सिडी वापस करने का उरेडा को आदेश दिया है। आपको बता दें 3.85 मेगावाट का क़रीब 18 करोड़ 86 लाख 50 हज़ार रुपए की सब्सिडी बनती है, लेकिन यह सब्सिडी अभी तक वापस नहीं की गई है। जबकि पीड़ित धीरेन्द्र रावत का कहना है कि योजना की गाइड-लाइन में स्पष्ट है सब्सिडी घरों की छतों और उससे लगी हुई ज़मीन पर ही लगने थे, लेकिन वो कृषि भूमि पर लगवा दिए गए। बाद में जब ग़लती पकड़ी गई, तो अपनी ग़लती छुपाने के लिए कृषि भूमि (Land Use) में बदलवा दिया गया।

वहीँ इस मामले में चीफ़ प्रोजेक्ट ऑफिसर, एके त्यागी का कहना है कि केंद्र से इस मामले को लेकर बातचीत चल रही है। साथ ही उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश है कि MNRE इस अनुदान को वापिस न ले और सभी लोगों की सब्सिडी भी मिल जाए। वहीँ सब्सिडी की एक ही दिन में बंदरबांट के मामले में त्यागी ने कहा कि सब्सिडी रिलीज करने वाला अधिकारी लम्बे समय से बीमार चल रहा था, जिसके चलते एक ही दिन में उसने सब्सिडी रिलीज कर दी।

अधिकारीयों की बीमारी का बहाना प्रदेश में अनियमितताओं का कारण बन रहा है।  बहरहाल देखना होगा सरकार इस मामले में किस तरह से कार्य करती है। 

 

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