नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आईसीआईसीआई- वीडियोकॉन मनी लॉन्ड्रिंग मामले में चंदा कोचर की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। खबरों के मुताबिक ईडी ने आरोप लगाया है कि आईसीआईसीआई की पूर्व सीईओ चंदा कोचर और उनके परिवार को लोन ऑफर्स के बदले में 500 करोड़ रुपये घूस के तौर पर मिले थे। इसके आलावा जांच एजेंसी जल्दी ही रिश्ववत के पैसे से खरीदी गई सारी संपत्ति को सीज करने की योजना में है। बता दें कि 3250 करोड़ के लोन के मामले में ईडी ने चंदा कोचरॉ, उनके पति दीपक कोचर और वीडियोकॉन के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत से तीन दिनों तक पूछताछ की थी।आरोप के मुताबिक विडियोकॉन ने आईसीआईसीआई बैंक से मिले 3250 करोड़ के लोन में से 64 करोड़ रुपये चन्दा कोचर के पति दीपक कोचर की कंपनी नु पॉवर में लगाए थे। ईडी के अनुसार दीपक कोचर की नु पॉवर को 2010 में 64 करोड़ रुपए वेणुगोपाल धूत की एक शेल कंपनी जरिए मिले, जिसके एवज में आईसीआईसीआई ने 2009 और 2011 के दौरान धूत की कंपनी को 1575 करोड़ का लोन मिला। इसके बाद 2010 में नुनिशांत कनोडिया की मॉरिशस की कंपनी फर्स्ट लैंड ने भी नु पॉवर में 325 करोड़ रुपए निवेश किए। बता दें कि निशांत कनोडिया एस्सार ग्रुप के प्रमोटर रवि रुईया के दामाद हैं। एस्सार ग्रुप को भी आईसीआईसीआई ने कर्ज दिया था, जो एनपीए हो चुका है।
सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि शुक्रवार को मुंबई में चंदा कोचर के कम से कम पांच दफ्तरों, घरों और कुछ अन्य जगहों पर तलाशी ली गई। चंदा कोचर, दीपक कोचर और वेणुगोपाल धूत के अलावा ईडी ने धूत के करीबी महेश पुगाली से भी पूछताछ की। ईडी ने सीबीआई द्वारा जनवरी में 3250 करोड़ के लोन के मामले में चंदा कोचर के खिलाफ दर्ज कराई गई एफआईआर के मामले में जांच कर रही है। इसके साथ ही अब ईडी द्वारा उन कंपनियों की लिस्ट जुटाई जा रही है, जिन्हें चंदा कोचर के कार्यकाल के दौरान लोन का ऑफर मिला था।