देहरादून: केदारघाटी में हेली सेवा को लेकर यूकाडा अपनी मनमानी कर रहा है। यूकाडा के अधिकारी सरकार को भी अपने इशारों पर नचा रहे हैं। दरअसल, हेली सेवा को लेकर पहले जो टेंडर जारी किया गया था, उस पर सवाल उठने के बाद शर्तों को बदलने को राजी तो हो गया, लेकिन जिन बदलावों की बात की जा रही है। उनसे हेली सेवा आॅपरेटरों को राहत मिलने के बजाय आॅपरेटर उसमें पूरी तरह उलझ कर रह गए हैं। हेली सेवा आॅपरेटरों को अब हाॅर्स ट्रेडिंग की आशंका भी सता रही है। इससे जहां हवाई सेवा प्रभावित होने का खतरा है। वहीं, यात्राकाल के दौरान टिकट ब्लैकमेलिंग की आशंका भी बढ़ गई है। हेली सेवाएं गुप्तकाशी, फाटा और सेरसी से ही आॅपरेट होंगी।
चारधाम यात्रा में काफी कम समय बचा है। 18 अप्रैल को यमुनोत्री और गंगोत्री के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा का आगाज भी हो जाएगा, लेकिन सरकार अब तक व्यवस्थाओं को ही चाकचैबंद नहीं कर पाई है। इन दिनों हवाई सेवा के लिए जारी टेंडर का मामला खासी चर्चाओं में है। यूकाडा टेंडर पर सवाल खड़े होने के बाद दो बार बैठक कर चुका है, लेकिन अब तक कुछ हल नहीं निकल पाया। हल निकलने के बजाय पहले से जारी टेंडर में नयी शर्तें जोड़ने पर तुला है । तीन हेलीकाॅप्टर की शर्त अब भी बरकरार है। शर्त को पूरा करने के लिए आॅपरेटरों को ग्रप बनाने के लिए कहा गया है।
बीते बुधवार को भी बैठक की गई। इस बैठक में अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश, सचिव अमित नेगी व दिलीप जावलकर मौजूद रहे। आॅपरेटरों को उम्मीद थी कि सभी को हवाई सेवा आॅपरेट करने का अवसर मिलेगा, लेकिन हुआ उम्मीद के विपरीत। इससे एक बात की और चर्चा हो रही है। वह यह कि जिन आॅपरेटरों के ग्रुप बनाने के बात कही जा रही है। उनमें छोटे आॅपरेटरों की परेशानी बढ़ सकती है। उनको काम तो मिलेगा, लेकिन वहां से कुछ कमा भी पाएंगे या नहीं। इसको लेकर वह चिंतित है। दरअसल, बड़े आॅपरेटर हाॅर्स ट्रेडिंग कर सकते हैं। आॅपरेटरों को कमीशन के खेल का भी डर सता रहा है। बड़े ऑपरेटरों का ग्रुप बनाने के खेल में अपनी पसंद के ही ऑपरेटरों को जोड़ने की फिराक में हैं, जिसमें बड़े लेन-देन हो सकता है, जिससे सामान्य ऑपरेटरों को इनकी सांठ-गाँठ से बाहर होना पड़ सकता है।
तीन आॅपरेटरों के आसपास ही धूम रही सूई
बैठक में पहले की शर्तों में बदलाव के बहाने नई शर्त रख दी गई, इसके अनुसार टेंडर प्रक्रिया में 3 हेलीकॉप्टर के स्वामित्व वाले ऑपरेटर इस प्रक्रिया में भाग लेने के साथ ही दो हेलीकॉप्टर के स्वामित्व वाले ऑपरेटर भी भाग ले सकेंगे। दो और तीन हेलीकॉप्टर के स्वामित्व वाले ऑपरेटरों को दो अलग-अलग ऑपरेटरों के साथ कुल मिलाकर तीन ऑपरेटरों का ग्रुप बनाना होगा।
पांच आॅपरेटरों को छोड़ा
टेंडर की शर्तों के अनुसार कुल 14 हेली आपरेटरों के अधिकतम 9 हेलीकॉप्टर ही यात्रा के दौरान उड़ान भर पाएंगे। इससे केदारघाटी में हेली सेवा आॅपरेट करने वाले पांच हेली आॅपरेटर इस रेस से सीधे-सीधे बाहर हो गए। यूकाडा ने टेंडर में उनके लिए कोई व्यवस्था नहीं की है। इस पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। इससे स्थानीय लोगों के बनाए चार हेलीपैड भी पूरी तरह खाली रह जाएंगे। इससे उनके साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार भी पूरी तरह छिन जाएगा।
टिकटों की ब्लैकमेलिंग
टेंडर की शर्तों का सबसे बुरा प्रभाव टिकटों की बिक्री पर पड़ने जा रहा है, दरअसल यात्राकाल के दौरान टिकटों की मांग अधिक होती और पूर्ति हो नहीं पाती। इसके चलते टिकट ब्लैक में बेचे जाते हैं। जिसका सीधा प्रभाव यात्रियों की जेब पर तो पड़ता ही है। राज्य की छवि भी खराब होती है।
इनको होगा नुकशान
काम नहीं मिलने के कारण बंद पड़ने वाले हेलीपैड से स्थानीय निवासीयों को करारा झटका लगेगा, क्योंकि केदार घाटी में यात्रा सीजन से हजारों लोगों को इन्हीं हेलीपैड से रोजगार मिलता है। जिसे सरकार अपनी नतियों के कारण छीनने जा रही है। हेलीपैडों के पास स्थानीय स्तर पर लोग ढाबों, दुकानों, होटलों के साथ टैक्सी व अन्य वाहन संचालक और हेलीपैड पर रोजगार पाने वाले लोगों के पूरे साल का खर्च यात्रा पर ही निर्भर रहता है।
यूकाडा से कुछ अहम सवाल
-पहला और अहम सवाल यह है कि आखिर यूकाडा तीन हेलीकाॅप्टर के स्वामित्व की शर्त को घुमाफिरा कर लागू करने पर तुला है?
-दूसरा सवाल यह है कि जब नौ हेली आॅपरेटरों को सरकार की शर्तों के मुताबिक काम मिलने सकता है, तो बाकी पांच आॅपरेटरों को क्यों बाहर किया जा रहा है?
– आॅपरेटरों समेत लोग यह भी सवाल खड़े कर रहे है कि सरकार तीन हेली काॅप्टर की शर्त पर ही क्यों अड़ी है। नई शर्तों में भी सरकार ने नया शिगूफा छोड़ा है। इसके तहत तीन का ही ग्रुप बनाया जा सकता है। सवाल यह है कि जब तीन ग्रुप बन सकते हैं और रूट पहले से ही सीतापुर, शेरसी, गुप्काशी और फाटा चार हैं। ऐसे में चार रूटों में से एक रूट कर कर तीन क्यों किए गए?
– हालांकि टिकटों की बिक्री को लेकर कोई निर्णय नहीं हो पाया है, लेकिन जीएमवीएन को टिकट बुकिंग का जिम्मा देने की जो बातें की जा रही हैं। क्या जीएमवीएन के पास इतने संसाधन है कि हेली सेवा के टिकट बुक कर पाएं?