हिमाचाल: हिमाचल में मणिमहेश यात्रा के लिए हेली कंपनियों के लिए निकाली गई टेंडर प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो रहे हैं। पिछले साल जो टेंडर तीन साल के लिए दो कंपनियों को दिया गया था। उसकी शर्तों में बदलाव कर सरकार ने तीन साल वाले क्लाउज को हटाकर इस बार फिर से टेंडर करा दिए। सवाल इस बात पर है कि जिन दो कंपनियों ने पिछले साल टेंडर में 3100 रुपये आने-जाने के किराए पर टेंडर हासिल किया था। सरकार ने इस बार भी उन्हीं दो कंपनियों को 5800 रुपये आने-जाने का किराया प्रति यात्री के लिए तय किया है।
दरअसल, सरकार पर इसलिए भी सवाल खड़े हो रहे हैं कि टेंडर की शर्तें इस तरह रख गई कि फिर से पिछले साल जिन दो कंपनियों ने टेंडर हासिल किया था। उन्हीं को फिर से टेंडर मिल सके। हुआ भी वही। सरकार ने जो शर्तें रखी थी। उनके अनुसार वही दो कंपनियां टेंडर के लिए क्वालिफाई कर पाई। इसलिए इस टेंडर प्रक्रिया को फिक्सिंग कहा जा रहा है। सबकुछ पहले से तय कर लिया गया था। सरकार केवल कंपनी के रेट बढ़ाना चाहती थी, जो कंपनी के लोगों से मिलीभगत के बगैर संभव ही नहीं है। यह भी बड़ा सवाल बना हुआ कि आखिर सरकार की ऐसी क्या मजबूरी थी कि उनको कंपनी के मुताबिक टेंडर बनाना पड़े।