नैनीताल: उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को एक करोड़ 99 लाख 9 हजार रुपऐ का भुगतान साढ़े सात प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से करने व पेंशन देने का निर्देश दिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खण्डपीठ ने मामले की सुनवाई की।
मामले के अनुसार सरिता सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि उनके पति सुनील कुमार ने एएन मगध मेडिकल कॉलेज गया बिहार से 1990 में एमबीबीएस की डिग्री हासिल की थी । उन्होंने अपने सर्विस के दौरान मगध मेडिकल कॉलेज ,हिन्दू राव अस्पताल दिल्ली में सेवा दी। वर्ष 1992 में यूपी सरकार ने उन्हें सीएचसी पतरामपुर नैनीताल में मेडिकल ऑफिसर के रूप में नियुक्ति दी। उत्तराखण्ड बनने के बाद डॉक्टर सुनील कुमार ने यूपी केडर चुना किन्तु उन्हें यूपी के लिए अवमुक्त नहीं किया गया। जिसके बाद उन्हें बाल रोग विशेषज्ञ के रूप में जसपुर स्थानांतरित किया गया। जहाँ 20 अप्रैल 2016 को ड्यूटी के दौरान उनकी हत्या कर दी गयी। याचिकाकर्ता सरिता सिंह ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर उन्हें मुआवजा देने, पुत्र को सरकारी नौकरी देने व देहरादून में पांच साल के लिए सरकारी आवास देने की मांग की थी। खण्डपीठ ने उक्त मामले को सुनने के बाद याची को 1 करोड़ 99 लाख 9 हजार रूपये का भुगतान साढ़े सात प्रतिशत वार्षिक दर से याचिका दायर होने की तिथि से देने, उत्तर प्रदेश सिविल सर्विस रूल 1981 के अनुसार मृतक आश्रित पेंशन देने व अवशेष पेंशन का भुगतान साढ़े आठ प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित 10 हफ्ते के भीतर करने को कहा है। खण्डपीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिए कि वह मेडिकल सेवा से जुड़े चिकित्सकों व अन्य कर्मचारियों और संस्थानों की सुरक्षा के लिए बने 2013 के एक्ट का कड़ाई से पालन करें।