नैनीताल: हाईकोर्ट ने नशे को रोकने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद 444 किस्म की दवाओं को बेचने पर रोक लगा दी गई है, ये वो दवा हैं जिनको केन्द्रीय ड्रग्स नियंत्रण संगठन ने नशीला पदार्थ माना है। साथ ही कोर्ट ने धारा-77 बाल किशोर न्याय अधिनियम 2015का दायरा बढाते हुए नशीले पदार्थ की श्रेणी में थीनर, वाइटनर, सुलोचन आदि को भी शामिल कर दिया गया है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार राज्य के युवाओं में बढ़ते नशे के मामले पर स्वेता मासीवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सरकार को आदेश दिया है कि तस्करों की पहचान के लिये सभी विभागों के तालमेल से विशेष सेल का गठन करें। 18 साल के बच्चों को नशीला पदार्थ बेचने पर पूर्ण रुप से प्रतिबंध लगाएं। कोर्ट ने अपने आदेशों में कहा है कि राज्य के सभी स्कूल कालेज शिक्षण संस्थानों में नशा अन्मूलन कल्ब का गठन करें।
कोर्ट ने 4 हफ्तों के भीतर नार्कोटिग ड्रग्स के लिये नियम बनाने के आदेश दिये हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने राष्ट्रीय नार्कोटिग कंट्रोल पालिसी के सभी प्रावधानों को अमल में लाने को भी कहा है। कोर्ट ने अपने आदेशों में कहा है कि इसके लिए शिक्षा व स्वास्थ्य सचिव को नोडल अधिकारी रहेंगे। खंडपीठ ने निदेशक जेल को आदेश दिया है कि जो भी कैदी जेल में लाया जाता है, उसका नार्कोटिक परिक्षण किया जाए। अगर किसी कैदी में ऐसे लक्षण पाये जाते हैं, तो उसका नशा मुक्ति केन्द्र में इलाज कराया जाए। कोर्ट ने अपने आदेशों में जेल के कैदियों का भी समय-समय पर परिक्षण कराने के आदेश दिये हैं। पुलिस को निर्देश हैं कि नशे पर निगरानी के लिए एंटी नार्कोटिक स्क्वायड का गठन करें।