नैनीताल: उत्तराखंड में एचएनबी केंद्रीय विवि गढ़वाल से संबद्ध कॉलेजों में पीएचडी की सुविधा बंद करने के मामला हाईकोर्ट पहुंचा है। मामले में दायर जनहित याचिका पर अगली सुनवाई के 24 जून को होगी। याचिका में श्रीदेव सुमन विवि की वैधानिकता को भी चुनौती दी गई है। प्रदेश सरकार बगैर संसाधान उपलब्ध कराए विवि की घोषणा कर रही है। प्रदेश में मशरूम की तरह विवि स्थापित किए जा रहे हैं। याचिका में श्री देव सुमन विवि की वैधता का परीक्षण कराने की मांग की है।
बता दें कि देहरादून निवासी अधिवक्ता अरुण कुमार शर्मा ने इस मामले में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। इसमें कहा कि हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विवि गढ़वाल से संबद्ध महाविद्यालयों में छात्र-छात्राओं को पीएचडी करने का अवसर नहीं मिल रहा है। विवि प्रशासन ने विवि के परिसरों तक ही यह सुविधा देने का फैसला लिया है। विवि प्रशासन की यह व्यवस्था तय प्रावधान के विपरीत है। पीएचडी नहीं होने से कई विद्यार्थी असिस्टेंट प्रोफेसर के पद के लिए आवेदन नहीं कर पा रहे हैं। इससे प्रदेश की उच्च शिक्षा की गुणवत्ता पर भी प्रभाव हो रहा है। मामले में न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।
इधर, याचिका में श्री देव सुमन उत्तराखंड विवि की वैधानिकता को भी चुनौती दी गई है। याचिका में कहा कि इस विवि की घोषणा नियमावली के विपरीत की है। प्रदेश सरकार बगैर संसाधान उपलब्ध कराए विवि की घोषणा कर रही है। प्रदेश में मशरूम की तरह विवि स्थापित किए जा रहे हैं। याचिका में श्री देव सुमन विवि की वैधता का परीक्षण कराने की मांग की है। अदालत ने सुनवाई के लिए सोमवार 24 जून की तिथि नियत की है।