नैनीताल: हाईकोर्ट ने पब्लिक स्कूलों में एनसीआरटी की किताबें लागू करने के सरकार के निर्णय के खिलाफ हड़ताल पर गये हल्द्वानी पब्लिक स्कूल एसोसिएशन को दस्ती नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि, इस प्रकार हडताल पर नहीं जाना चाहिए क्योंकि इससे बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड हो रहा है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को आदेश दिये हैं कि, वो पब्लिक स्कूल एसोसिएशन को स्वंय जाकर नोटिस दें। याचिकाकर्ता ने स्कूल एजूकेशन देहरादून, डायरेक्टर जनरल आफ स्कूल एजूकेशन उत्तराखंड, चीफ एजूकेशन आफीसर नैनीताल, सेंट्रल बोर्ड आफ सेकेंडरी एजूकेशन, पब्लिक स्कूल एसोसिएशन हल्द्वानी व डीएम नैनीताल को पार्टी बनाया है। न्यायमूर्ति वीके बिष्ट एवं न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ के समक्ष इस मामले की सुनवाई हुई।
मामले के अनुसार हल्द्वानी निवासी नवीन कपिल व दिनेश कुमार चंदोला ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि, सरकार की ओर से प्राइवेट स्कूलों में एनसीआरटी की किताबें लागू करने का फैसला लिया गया था। जिसके बाद हल्द्वानी पब्लिक स्कूल में आने वाले सभी स्कूल लगभग सात दिन की हड़ताल पर चले गये। याचिका में कहा कि प्राइवेट स्कूल अकादमिक सत्र शुरु होने के पहले दिन से ही सरकार द्वारा एनसीआरटी किताबें लागू करने के विरोध में हड़ताल पर चले गए जो गलत है। याचिका में कहा कि इस प्रकार से यदि स्कूल एसोसिएशन हडताल पर जाऐंगे तो बच्चों की पढाई बाधित होगी। याचिका में कहा कि शिक्षा प्रदान करना लोक प्रयोजन का काम है जिसमें अपने आर्थिक हितों की बाध्यता के चलते छात्रों को शिक्षा से वंचित नहीं किया जा सकता। याचिका में कहा कि, शिक्षा का अधिकार मौलिक अधिकार है। याचिका में कहा कि, एस्मा एक्ट में शिक्षा प्रदान करना एक आवश्यक सेवा है जिसे हड़ताल के जरिये बाधित करना कानून के खिलाफ है। पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 4 अप्रैल की तिथि नियत करते हुए हल्द्वानी पब्लिक स्कूल को दस्ती नोटिस जारी कर हड़ताल का कारण पूछा है।