नैनीताल: हाईकोर्ट ने सरकार को प्रदेश के पुजारियों, मौलवियों, पादरियों और ग्रंथियों को सरकारी आर्थिक मदद और पेंशन देने पर अपनी राय न्यायालय को बताने को कहा है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ नके समक्ष मामले की सुनवाई हुई।
मामले के अनुसार, पंडित सुभाष जोशी ने एक पत्र हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भेजा था जिस का कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए उसे जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किया। पत्र में कहा था कि पूजा पाठ करने वाले हिन्दू पण्डित दरिद्रता का जीवन गुजार रहे हैं, वो अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं दे पा रहे हैं । उन्होंने राज्य सरकार से आर्थिक मदद और पेंशन दिलाने के लिए प्रार्थना की है । न्यायालय ने सरकार से कहा कि वो सभी धर्मों के साथ सामंजस्य बनाते हुए कोई नीति बनाने के लिए फ्री है। खंडपीठ ने महाधिवक्ता को वित्त मंत्री के साथ इस मुद्दे पर विचार करने की आजादी दी है। कोर्ट ने इस प्रकरण पर अधिक्वता एमसी पंत को न्यायमित्र नियुक्त किया है। पंत ने उनका पक्ष रखते हुए कहा कि “तीर्थो को वैष्णो देवी और बालाजी की तर्ज पर श्राइन बोर्ड गठित किया जाय जिससे इनमे कार्य करने वाले लोगो को वेतन व अन्य लाभ दिए जा सके” महाधिक्वता की ओर से सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि संविधान का अनुच्छेद 25(जे) के अनुसार किसी भी धर्म विशेष के लिये इस तरह के सेवाए देना उचित नही है यह सविधान का उल्लंघन होगा यह सम्भव भी नही है। कोर्ट ने इस मामले में महाधिवक्ता से कहा कि वे इस संबंध में वित्त सचिव से वार्ता करें और 6 सितंबर को स्थिति से कोर्ट को अवगत कराये। मामले की अगली सुनवाई के लिए 6 सितंबर की तिथि नियत की।