देहरादून: केदारनाथ यात्रा के दौरान हेली सेवाओं की विवादित टेंडर प्रक्रिया आखिरकार पूरी हो गई है। शुरू से ही विवादों में रहा यह टेंडर, और युकाडा के अधिकारियों पर टेंडर की शर्तों को लेकर कई सवाल भी खड़े हुए। लेकिन टेंडर आवंटित होने के बावजूद भी कई अहम सवाल अब भी बरकरार हैं। शुरू से ही अपनी मनमानी के चलते कुछ ही ऑपरेटरों तक सीमित रखने के खेल में आखिर अधिकारियों द्वारा पसंदीदा ऑपरेटरों को टेंडर आवंटित किए जा चुके हैं। यह टेंडर शुरू से अंत तक केवल 9 ऑपरेटरों को लेकर ही घूमता रहा। बार-बार संसोधन या री-टेंडेर के नाटक के बाद आखिर उन्ही 9 ऑपरेटरों को ही टेंडर मिला या यूँ कहें टेंडर दिया गया।
सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, जारी टेंडर में गुप्तकाशी से केदारनाथ का किराया 7300, फाटा से 6700 व सिरसी से 6350₹ प्रतियात्री रखा गया है।
वहीं कई संशोधनों के बाद भी अधिकारियों द्वारा खुद की ही बनाई गई शर्त को इस टेंडर आवंटन में दरकिनार कर फिर से अपनी मनमानी की गई। दरसल जब टेंडर जारी किया गया तो, इसकी शर्तों के अनुसार कम से कम 2 हेलीकॉप्टरों पर स्वामित्व की शर्त रखी गई थी, इसके बाद इसमें संसोधन करके इस शर्त हो हटाया गया। मूल टेंडर में कुल 6 संशोधन किए गए थे। इसके बाद जब री-टेंडेर जारी किया गया तो उसमें भी एक संशोधन किया गया। लेकिन स्वामित्व वाली शर्त को इसमें संसोधित नहीं किया गया। इस शर्त के चलते आवेदन करने वाले 3-4 ऑपरेटर टेंडर के लिए अयोग्य साबित हुए। लेकिन, बावजूद इसके उन्हें भी टेंडर आवंटित किया गया है। लगातार संशोधनों से विभाग और सरकार की किरकिरी के चलते अधिकारियों ने इस संसोधन को नहीं किया। और इसी गलती के साथ ही आवंटन कर दिया।
ऐसे में समझा जा सकता है कि, आखिर किस कदर अधिकारी अपनी मनमानी पर उतारू हैं। इतनी आलोचनाओं के बाद भी किस तरह अधिकारी निरंकुश हैं इसका एक बड़ा उदाहरण इस पूरी टेंडर प्रक्रिया में शुरू से अंत तक देखने को मिला। पहले टेंडर में तीनों रूट पर सिंगल सिंगल बिड आये थे और रिटेंडर करवाने पर भी सिंगल सिंगल बिड आये है (सैम ग्रुप बिडिंग हुई है) लेकिन इस बार सिंगल बिड पर ही टेंडर दिये गये जो अपने आप में एक बड़ा सवाल है।
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