Hcनैनीताल: हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और सूबे के आयुर्वेदिक मेडिकल कालेजों को बड़ा झटका देते हुए इनमें फीस बढ़ाने वाले शासनादेश को निरस्त कर दिया है। साथ इस आदेश से इन कॉलेजों से बीएमएस करने वाले विद्यार्थियों को भारी राहत मिली है। हिमालयन आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज के विद्यार्थियों ललित तिवारी, यश सैनी, रजत राणा सहित 104 विद्यार्थियों ने प्रॉस्पेक्टस में 80 हजार रुपये शुल्क होने का हवाला देते हुए बढ़ी हुई फीस को असंवैधानिक बताते हुए कोर्ट में चुनौती दी थी।याचिकाकर्ताओं में 2013-14, 14-15, 15-16 बैच के विद्यार्थी भी शामिल थे। मामले में कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि जिन विद्यार्थियों ने नये शासनादेश के हिसाब से फीस भर दी है उन्हें 15 दिनों के भीतर फीस वापस कर दी जाए। न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।
मामले के अनुसार, विद्यार्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि राज्य सरकार ने आयुर्वेदिक मेडिकल विश्वविद्यालय की फीस बढाए जाने को लेकर 14 अक्टूबर 2015 को शासनादेश जारी किया था जिसमें सरकार की ओर से गलत तरीके से फीस बढ़ाई गई है। याचिका में कहा गया था कि सरकार ने फीस को 80 हजार रूपए से बढ़ाकर 2 लाख 15 हजार रुपये कर दिया जो नियम विरुद्ध व अवैध है। पूर्व में हाईकोर्ट की एकलपीठ ने सुनवाई के बाद इस पर रोक लगा दी थी। उधर सरकार ने शुल्क वृद्धि को लेकर एक समिति गठित करने को कहा था लेकिन समिति गठित किये बगैर ही शुल्क वृद्धि का शासनादेश जारी कर दिया गया।विद्यार्थियों का यह भी आरोप था कि उनसे बढ़ी हुई फीस के साथ जुर्माना भी लिया जा रहा है। सोमवार को कोर्ट ने सुनवाई करते हुए माना कि बढ़ाई गई फीस नियमविरूद्घ है। कोर्ट ने अपने आदेश में फीस बढ़ाये जाने के शासनादेश को निरस्त कर दिया। न्यायालय ने सरकार को यह भी आदेशित किया कि जिन छात्रों ने नये शासनादेश के हिसाब से फीस भर दी है उनको 15 दिनों के भीतर फीस वापस कर दी जाए।