नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को केजरीवाल सरकार की दिल्ली में महिलाओं के लिए प्रस्तावित मुफ्त मेट्रो सर्विस के खिलाफ याचिका को नामंजूर कर दिया। दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस सी हरिशंकर की अगुवाई वाली बेंच ने याचिकाकर्ती की याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर 10 हजार का जुर्माना भी ठोक दिया। केजरीवाल सरकार ने जून में महिलाओं को मेट्रो में मुफ्त सेवा देने का ऐलान किया था।
दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की किराया कम करने और मौजूदा 6 स्लैब की जगह 15 स्लैब करने की याचिका भी खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि किरायों का निर्धारण एक वैधानिक प्रावधान है और यह लागत सहित कई तथ्यों पर निर्भर करता है, जिन्हें एक जनहित याचिका में निर्धारित नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि ये सरकार का काम है कि किराए में छूट देनी है या नहीं। उन्होंने मेट्रो के किराए घटाने पर कहा कि इसका फैसला हम नहीं ले सकते हैं।
पिछले महीने जून में दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी सरकार ने ऐलान किया था कि वो महिलाओं को सार्वजनिक बसों(डीटीसी और क्लस्टर बसों) और मेट्रो में मुफ्त सफर की सुविधा देगी। सरकार ने कहा था कि वो इस योजना को जल्द से जल्द लागू करेगी। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 3 जून को खुद इसका ऐलान किया था। आप के सीनियर नेता गोपाल राय ने मंगलवार कहा था कि डीएमआरसी ने दो प्रस्ताव दिए हैं जिनमें से महिला यात्रियों को पिंक कार्ड जारी करना शामिल है।
दिल्ली में मेट्रो में महिलाओं के मुफ्त सफर को लेकर दिल्ली सरकरा और केंद्र सरकार आमने सामने आ गई थी। केद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने पिछले गुरुवार को लोकसभा में कहा था कि दिल्ली में महिलाओं के लिए मेट्रो का सफर मुफ्त करने के बारे में केजरीवाल सरकार से कोई प्रस्ताव केंद्र के पास नहीं आया है। वहीं मेट्रो मैन के नाम के मशहूर दिल्ली मेट्रो के चीफ ई श्रीधरन, जो वर्तमान में दिल्ली मेट्रो के सलाहकार है, उन्होंने पीएम मोदी को चिट्ठी लेकर कहा था कि वो महिलाओं के लिए मेट्रो में मुफ्त सफर के केजरीवाल के प्रस्ताव के खिलाफ हैं। श्रीधरन ने पीएम मोदी से इस मामले में व्यक्तिगत हस्तक्षेप की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि इससे दिल्ली मेट्रो की सेहत पर बुरा असर पडे़गा।