नैनीताल: हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह के खिलाफ हाईकोर्ट में ही आपराधिक अवमानना की याचिका दाखिल की गई है। यह मामला वरिष्ठ न्यायमूर्ति राजीव शर्मा एवं न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह के समक्ष सुनवाई के लिए आया, लेकिन उस बेंच में न्यायमूर्ति लोकपाल थे इसलिए इस मामले की सुनवाई के लिए अन्य बेंच को रेफेर कर दिया गया है।
मामले के अनुसार, हाईकोर्ट के अधिवक्ता सीके शर्मा ने हाईकोर्ट के जस्टिस के खिलाफ वाद दाखिल किया है। याचिका में कहा गया है कि न्यायमूर्ति द्वारा उनके साथियों व अधिवक्ता सोनिया चावला, महाधिवक्ता हाईकोर्ट, शासकीय अधिवक्ता जीएस सांधू, सीएससी परेश त्रिपाठी, पूर्व जज यूपी हाईकोर्ट प्रदीप कांत, डिप्टी महाधिवक्ता समेत अन्य के साथ दुर्व्यवहार किया। याचिका में कहा गया है कि कोर्ट में सुनवाई के दौरान अधिवक्ताओं के प्रति ऐसे अमर्यादित शब्दों का प्रयोग किया गया, जिसको सभ्य समाज में गाली के समान माना जाता है। याचिका के अनुसार न्यायमूर्ति लोक पाल सिंह ने अपने साथी जज के खिलाफ भी विगत 11 मई को केस की सुनवाई के दौरान अमर्यादित भाषा का प्रयोग करते हुए कहा कि, मैं बाकी जजों की तरह नहीं हूँ, जो चैम्बर में जाकर वकीलों की रिक्वेस्ट पर आदेश बदल देता हूं। याचिका के अनुसार ये बातें ना सिर्फ न्यायमूर्ति की अपनी अदालत की अवमानना है बल्कि पूरे हाई कोर्ट के समस्त जजों को भी कठघरे में खड़ा कर दिया गया है। याचिका में कहा गया है कि न्यायमूर्ति का ये कृत धारा,2सी,15 व 16 कंटेम्ट आफ कोर्ट के अन्तर्गत एक अवमानना याचिका में कहा गया है कि न्यायमूर्ति ने 9 मई को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता से कहा कि बहुत कूदता है तू, तू क्या समझता है, तू ड्रेस में है तो मैं तुझे जेल नहीं भेज सकता, यहीं तेरी ड्रेस उतरवा कर कस्टडी में लेकर यहीं से तुझे जेल भेज दूंगा, बाद में अपील करते रहना पूरी हाई कोर्ट में तुझे बचाने वाला कोई नहीं मिलेगा।
रामनगर के व्यापारी जो स्कूल के मैनेजर के रुप में कोर्ट में पेश हुए उनसे कहा कि तू बेइमानी का पैसा खा खाकर इतना मोटा हो गया और तेरे शरीर पर जो चरबी चढी है सारी की सारी उतरवा दूंगा और तुझे यहीं से जेल भेज दूंगा।
याचिका में कहा गया है कि न्यायमूर्ति वकील रहने के दौरान मोहनपाल के अधिवक्ता रहे, मगर इसके बाद भी उनके द्वारा जज बनने के बाद मोहन पाल के केस को निस्तारित किया गया। इस प्रकरण पर सुनवाई अब अन्य बेंच करेगी।