देहरादून: शिक्षा आज एक बहुत बड़ा व्यवसाय बन गया है जिसमें खास तौर पर छात्रों का भरपूर शोषण होता जा रहा है। शिक्षा का व्यवसायीकरण या बाजारीकरण आज देश के समक्ष बड़ी चुनौती बनते जा रहा है। यह संकट इससे समझा जा सकता है कि, कोर्ट के आदेशों तक की इन्हें कोई परवाह नहीं। वहीँ शिक्षा के बाजारीकरण को सिर्फ और सिर्फ सरकार अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के द्वारा पूरी तरह से रोक सकती है, लेकिन दुर्भाग्यवश हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद सरकार अपने ही बनाये नियम को लागू नहीं कर पा रही है या नहीं करना चाह रही है।
उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं का कहना है कि, आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेज मनमर्जी से अपनी फीस ले रहे हैं। जबकि, सरकार ने 80 हज़ार निर्धारित की थी लेकिन कॉलेज प्रबंधन ने छात्र-छात्राओं से इससे कई अधिक 2 लाख 15 हजार वसूले हैं। हाईकोर्ट ने सरकार और कॉलेजों को निर्धारित दर से अधिक ली गई फीस को छात्र-छात्राओं को वापस करने का फैसला दिया था, लेकिन कोई भी इनकी सुध नहीं ले रहा है।
ऐसे में इन छात्र-छात्राओं को अपनी पढाई छोड़ अधिकारों की लड़ाई लड़ने खुद सड़क पर उतरना पड़ा है। उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं का इसी क्रम में देहरादून के धरना स्थल पर आमरण अनशन चौथे दिन भी जारी रहा। ये सभी हाईकोर्ट के आदेश का पालन करने की सरकार से मांग कर रहे हैं। इनका आरोप है कि, 4 दिन बीत जाने के बाद भी सरकार का कोई नुमाइंदा छात्र-छात्राओं की खबर लेने नहीं पहुंचा है। वहीं 4 दिन से आमरण अनशन पर बैठे छात्र-छात्राओं की तबियत बिगड़ सकती है लेकिन सरकार और कॉलेजों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है।