देहरादून: प्राइवेट आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों के छात्र बढ़ी हुई फीस को कॉलेज प्रशासन द्वारा वापस ना करने पर तथा पुन: छात्रो से बडी शुल्क मांगने पर परेशान हैं। छात्रों का आरोप है कि निजी कॉलेजों द्वारा मेडिकल के छात्रों से वर्ष 2015 से 80 हजार शुल्क की जगह 2 लाख 70 हजार रुपये वसूले जा रहे हैं। जिसका छात्रों द्वारा वर्ष 2015 से लगातार जमकर विरोध किया जा रहा है।
छात्र ललित तिवारी द्वारा माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की गई थी, जिस पर सुनवाई करते हुये 9 जुलाई 2018 को हाईकोर्ट की एकलपीठ ने शासनादेश को रद्द करते हुए आदेश जारी कर छात्रों की बढ़ी हुई फीस 15 दिन में लौटाने को कहा। जिसके बाद सभी निजी कॉलेज ने हाईकोर्ट की डबल बेंच का दरवाजा खटखटाया था, और मामले पर सुनवाई करते हुए एकल पीठ के फैसले को बरकरार रखा गया। बावजूद इसके निजी कॉलेजों द्वारा हाईकोर्ट के आदेशों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है और कॉलेज प्रशासन छात्रों को अभी तक भी बढ़ी हुई फीस वापस करने को तैयार नही है।
छात्रो का आरोप है उत्तराखण्ड आयुर्वेद यूनिवर्सिटी, हर्रावाला से भी कोलेजों को बहुत नोटिस दिये गये जो इनकी पैरवी कर रही है, साथ ही आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों द्वारा छात्रों को बढ़ी फीस जमा करने का फरमान सुना रहा है। और फीस जमा न किये जाने पर छात्रों को परीक्षा में न बैठने, कक्षा में न बेठने, दण्ड के साथ फीस जमा करने के नोटिस जारी किए जा रहे हैं। उनका आरोप है कि, उत्तराखण्ड में अधिकतर कोलेज मंत्रियो के करीबी हैं, जिससे ये सभी शिक्षा के नाम पर शिक्षा का कारोबार कर रहे हैं।
इससे गुस्साए छात्रों ने उत्तराखण्ड आयुर्वेद यूनिवर्सिटी, हर्रावाला में रजिस्ट्रार के सामने गुहार लगाई है लेकिन छात्रों को आश्वासन के अलावा और कुछ हाथ न लगा। छात्रो का कहना है कि, उच्च न्यायालय, सरकार के आदेशो का जल्दी पालन कराया जाये तथा छात्रो को राहत दी जाए।