पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत औऱ पीसीसी अध्यक्ष किशोर उपाध्याय दोनो ही इस बार आलाकमान के सामने अपनी बात मनवाने में नाकाम रहे। इंदिरा हद्येश के नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर बैठते ही कांग्रस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय की कुर्सी से उठने के संकेत अब साफ मिलने लगे हैं। दरअसल नेता प्रतिपक्ष को लेकर जहां हरीश रावत अपने रिश्तेदार रानीखेत विधायक करण माहरा को लेकर आलाकमान के सामने मुस्तैद थे तो वहीं किशोर उपाध्याय भी कांग्रेस नेतृत्व के सामने करण माहरा के नाम की पर्ची लिए खड़े थे। लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने दोनो की ही सिफारीशों को दरकिनार कर कांग्रेस की वरिष्ठ विधायक औऱ पूर्व मंत्री इंदिरा हद्येश को नेता प्रतिपक्ष की कमान सौंपी। जिसके बाद से हरीश रावत अब अपने कद को लेकर चिंतित बताये जा रहे हैं । लेकिन इस समय जातीय समीकरण के कारण सबसे ज्यादा अब संकट किशोर उपाध्धाय की कुर्सी को है क्योकिं कुमांऊ से बाह्मण नेता प्रतिपक्ष बना दिये जाने के बाद अब कांग्रेस पर जातीय संतुलन साधने का भी दबाव है। जिससे साफ है कि अब अगर कांग्रस उत्तराखंड में इस समिकरण को साधती है तो किशोर उपाध्याय की कुर्सी बच पाना बेहद मुश्किल है। हालांकि कांग्रेस की हार के बाद से ही उनके अध्यक्ष पद पर बने रहने पर भी सवाल उठने लगे है। अब कांग्रस की कोशिश होगी की गढ़वाल से किसी क्षत्रीय चेहरे को कांग्रेस की कुर्सी पर बैठाया जाए ताकि जातीय संतुलन को लेकर भविष्य में किसी प्रकार की किरकिरी का सामना न करना पड़े ।