प्रदीप रावत (रवांल्टा)
भई गजब है…। पूर्व सीएम हरीश रावत से कोई सवाल पूछे और वो पलटकर जवाब ना दें। ऐसा हो ही नहीं सकता। कल ही तो भाजपा प्रदेश अध्यक्ष जय भट्ट ने उनसे पूछा था कि हरीश रावत जी दूरबीन से कुछ मिला या नहीं ? हरीश रावत जी ठीक एक दिन बाद मीडिया के सामने प्रकट हुए और दूरबीन गाथा शुरू की। इस दौरान उनकी नई खोज खुईबीन का भी लोगों को पता चला। अब यह जानने का वक्त आ गया है कि आखिर हरदा को दूरबीन और खुर्दबीन से क्या मिला ?
हरदा ने सबसे पहले जो बताया वो मेरे लिए थोड़ा चैंकाने वाला था। नाम था खुर्दबीन। आपमें से भी कई लोगों ने खुर्दबीन पहली बार ही सुना होगा। चलो अब सुनतो लिया। खुर्दबीन की महिमा भी गजब है। इसका असली नाम माईक्रोस्कोप है। इससे किसी की भी नाकामी को, चाहे वह कितनी ही गहरी क्यों ना दबी हो। खोद कर निकाला जा सकता है। हरदा ने भी वही किया। वैसे भाजपा वाले भी ऐसा पहले कर चुके हैं, लेकिन उनको खुर्दबीन का नाम पता नहीं था। ये तो हुई बात दूरबीन और खुर्दबीन की।
अब बताते हैं कि हरदा को क्या दिखा और क्या नहीं ? उन्होंने कहा कि मैं तो विकास कार्य और बदले हुए केदार धाम को दूरबीन से देखने गया था। साथ में खुर्दबीन भी लेकर गया था, पर दोनों को निराशा हुई। नई केदारपुरी ना तो दूरबीन से नजर आई और खुर्दबीन से दिखाई पड़ी। हरदा ने कहा कि उन्होंने मोदी बाबा से पहले ही मंदाकिनी से जो कटाव हो रहा है। उसके लिए चार हजार करोड़ का प्रोजेक्ट पास करने की मांग की थी, लेकिन मोदी बाबा ने चार पैसे भी नहीं दिए। उन्होंने यह भी कहा कि जो हमने अपने ऐतिहासिक और वैभवी कार्यकाल में आसमान से बरसने वाली जलधारा के प्रवाह के लिए नालियों का निर्माण किया था। वह जहां था, वहीं ठहरा रह गया। गुरुड़ चट्टी में जो तपस्थाली का निर्माण उनके कठोर तप में अधूरा रह गया था। उसका निर्माण डबल इंजन की सरकार का तपोबल भी नहीं करा पाया।
हरदा की आस्था को भी नई केदारपुरी में धक्का लगा। हरदा का कहना है कि बाबा के वाहन नंदी को उसकी जगह से सोती अवस्था में भाजपा वालों ने दूसरी जगह पहुंचा दिया। अन्य साधनारत दूसरे भगवानों की साधना को भी भंग किया। मंदिर में भगवान भोलेनाथ के तपस्यास्थल से भी छेड़छाड़ की जा रही है। हरदा ने कहा कि इस छेड़छाड़ का भाजपा को जरूर दंड मिलेगा। भाजपा को अपनी करनी का फल भुगतना पड़ेगा…। हरदा ने जवाब दे दिया है कि दूरबीन और खुईबीन का क्या नतीजा रहा…।
वैसे हरदा सौ बात की एक बात अपनी भी कह देता हूं…करनी का फल तो सभी को भुगतना पड़ता है। कोई जल्दी तो कोई देरी से भुगतता है। जिसके जैसे कर्म, वैसा फल। जिसकी करनी का फल, जितनी देरी से मिलता है। उसके परिणाम उतने ही भयंकर होते हैं।यहां यह समझने की गलती मत करना कि सब्र का फल मीठा होता है…।