देहरादून: प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में क्षेत्र विशेष की चिन्हित आर्थिक गतिविधियों, स्थानीय उत्पादों व सेवाओं को देश-विदेश में पहचान दिलाने तथा स्थानीय स्तर पर रोजगार के व्यापक अवसर सृजित करने के लिये ग्रोथ सेन्टर योजना आरम्भ की गई है। इस संबंध में शासन द्वारा दिशा-निर्देश जारी कर दिये गये हैं।
ग्रोथ सेन्टरों की स्थापना के संबंध में मुख्यमत्री त्रिवेन्द्र सिंह ने कहा कि, इससे ग्रामीण आर्थिकी को मजबूती मिलने के साथ ही स्थानीय युवाओं को रोजगार एवं स्वरोजगार के व्यापक अवसर सृजित होंगे। इससे पर्वतीय क्षेत्रों से हो रहे पलायन को रोकने में भी मदद मिलेगी। इससे स्थानीय उत्पादों को भी बढ़ावा मिलेगा। परम्परागत खेती तथा बंजर हो रहे खेतों को आबाद करने में भी मदद मिलेगी।
इस संबंध में जारी निर्देशों में स्पष्ट किया गया है कि, राज्य में विभिन्न प्रकार के कृषि, उद्यान एवं पादप, पुष्प आदि का उत्पादन किया जाता है। विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट उत्पाद उपलब्ध होते हुए भी इनका व्यवसायिक उत्पादन एवं गुणवत्ता का मानकीकरण न होने के कारण इन उत्पादों के विपणन की संगठित व्यवस्था वृहद स्तर पर नहीं बन पाई है। इन उत्पादों के स्थानीय स्तर पर मूल्य संवर्द्धन एवं प्रसंस्करण कर उत्पादों को बेहतर आय के साथ-साथ व्यापक स्तर पर रोजगार के अवसर सृजित हो सकते हैं। स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कच्चेमाल पर आधारित उद्यमों की स्थापना को प्रोत्साहित करने हेतु सुदृढ़ एवं संगठित बैकवर्ड लिंकेज विकसित करना भी आवश्यक है। भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों, अन्तर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं एवं संगठनों की भी अनेक परियोजनायें राज्य में चल रही हैं। राज्य सरकार के विभिन्न विभाग जैसे उद्योग, कृषि, उद्यान, पर्यटन, वन, सहकारिता, दुग्ध विकास, पशुपालनद आदि द्वारा भी विभागीय योजनायें संचालित की जाती है। इन सभी योजनाओं को नियोजित एवं समन्वित रूप से संचालन एवं अनुश्रवण से इनके बेहतर परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं। इन योजनाओं में जहां-जहां क्रिटिकल गेपस चिन्ह्ति किये जायेंगे एवं जहां पर सामूहिक अवस्थापना सुविधाओं के सृजन की आवश्यकता है, उनका वित्त पोषण इस योजना के माध्यम से किया जा सकेगा।
इस योजना में विभाग आवश्यकतानुसार निजी निवेश/निवेशक को आमंत्रित कर सकते हैं। यदि फारवर्ड व बैकवर्ड लिंकेज हेतु निजी निवेश/निवेशक को आमंत्रित किया जाता है, तो उन्हें भी एमएसएमई नीति के अधीन श्रेणी-ए के जनपदों हेतु निर्धारित अधिकतम वित्तीय प्रोत्साहन कुल परियोजना लागत का 40 प्रतिशत, अधिकतम रूपये 40 लाख तक निवेश प्रोत्साहन सहायता चिन्ह्ति ग्रोथ सेन्टर में अनुमन्य होगी।
ग्रोथ सेन्टर योजना में राज्य सरकार/केन्द्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के अधीन संचालित योजनाओं में अनुमन्य उपादान निश्चित मद हेतु ( Particular Component) एक ही स्त्रोत से लिये जाने की अनुमन्यता होगी। ग्रोथ सेन्टर योजना में ग्रोथ पर आधारित गतिविधियों जिन्हें विभाग इंगित करें पर ही व्यय अनुमन्य होगा। ब्याज उपादान में 05 प्रतिशत, अधिकतम रूपये 10 लाख प्रतिवर्ष तक की प्रतिपूर्ति। संबंधित फर्म/इकाई द्वारा प्रदेश के भीतर उपभोक्ता (बी टू सी) को माल की आपूर्ति पर अनुमन्य आईटीसी के समायोजन के उपरांत जमा किये गये एसजीएसटी में 50 प्रतिशत, अधिकतम रूपये 20 लाख प्रतिवर्ष की प्रतिपूर्ति की जायेगी। एन.आर.एल.एम. के अधीन गठित महिला स्वयं सहायता समूह, कृषक उत्पादक संगठन(एफपीओ), कृषक सहकारी संगठन भी योजना के अधीन पात्र होंगे।
योजना के संचालन के लिये सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग ग्रोथ सेन्टर योजना हेतु नोडल विभाग होगा। संबंधित विभाग अपने अधीन संचालित किये जाने वाले ग्रोथ सेन्टर का चिन्हांकन करते हुए इन्हें उच्च स्तरीय समिति से अनुमोदित करायेंगे। चिन्हित ग्रोथ सेन्टर के बैकवर्ड व फारवर्ड लिंकेज हेतु क्रिटीकल गेप फण्डिंग हेतु अध्ययन रिपोर्ट के आधार पर ही योजना के अधीन वित्त पोषण किया जायेगा। निजी निवेश/निवेशक को समयबद्ध स्वीकृतियों हेतु एकल खिड़की व्यवस्था के उपयोग की अनुमति होगी। योजना की थर्ड पार्टी मॉनिटरिंग की व्यवस्था रहेगी। एम.एस.एम.ई. विभाग द्वारा योजना के अनुश्रवण हेतु आई.टी. आधारित मासिक प्रगति पोर्टल विकसत किया जायेगा।
ग्रोथ सेंटर योजना के संचालन के लिये राज्य स्तर पर गठित समिति के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे, जिसकी अपर मुख्य सचिव के अलावा वित्त, नियोजन, आयुष, आईटी, कृषि, उद्यान, पर्यटन, पशुपालन व सहकारिता के सचिव सदस्य होंगे। जबकि जनपद स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति में अग्रणी बैंक अधिकारी के साथ मुख्य विकास अधिकारी व कृषि, उद्यान, पर्यटन एवं उद्योग के अधिकारी सदस्य होंगे।