रुद्रप्रयाग: गढवाल मण्डल विकास निगम की एक बडी औद्यौगिक इकाई के रुप में पहचान रही तिलवाडा विरोजा फैक्टी अब कौडियों के भाव नीलाम होने जा रही है। इसके लिए विज्ञप्ति भी जारी कर दी गयी है और नीलामी से जुडे कारोबारी मोल भाव के लिए पहुंचने भी लग गये हैं। वहीं फैक्ट्री के लिए अपनी जमीनें दान देने वाले तिलवाडा के 5 गावों के लोगों ने भी बडे आंदोलन का मन बनाते हुए साफ कर दिया है कि रोजगार के नाम पर भूमि को दान किया गया था मगर अब रोजगार नही तो भूमि भी नहीं दी जायेगी और नीलामी के दिन कास्तकार अपनी भूमि पर कब्जा करेंगे।
उत्तर प्रदेश सरकार के दौरान वर्ष 1977 में तत्कालीन पर्वतीय विकास मंत्री स्व0 नरेन्द्र सिंह भण्डारी ने गढवाल के चीड के पेडों से निकलने वाले लीसा को रोजगार से जोडने के लिए तिलवाडा में विरोजा फैक्ट्री स्थापित करने का प्रस्ताव तैयार किया था और 25 मई सन 1978 में तिलवाडा में स्थानीय ग्रामीणों की 125 नाली भूमि का दाननामा कर यहां पर विरोजा व तारपीन निकालने वाली फैक्ट्री की शुरुआत की थी। गढवाल क्षेत्र में यह पहला बडा उपक्रम था कि जिसमें करीब साढे तीन सौ स्थानीय लोगों को रोजगार दिया गया था और शुरुआती दिनों में फैक्ट्री के जरिये करीब तीन करोड का राजस्व भी मिल रहा था। मगर वर्ष 1994आते आते सरकारी कुप्रबन्धन व वन नीति में सुधार न किये जाने से फैक्ट्री घाटे में जाती रही और वर्ष 2008 में रोजगार का एक बडा उपक्रम बन्द हो गया और अब नीलामी की कगार पर है। सारे स्थानीय लोगों को उसी दौरान हटा दिया गया और रोजगार के नाम पर चलने वाली बडी फैक्ट्री पर हमेशा के लिए ताले लग गये।
स्थानीय लोगों का अब कहना है कि सरकार के अपने कुप्रबन्धन की वजह से रोजगार का एक बडा केन्द्र बन्द हुआ है और स्थानीय लागों ने अपनी जमीनें इस लिए दान दी थी कि उन्हें दीर्घकालिक रोजगार मिल सके मगर यह हो न सका और अब स्थानीय पांचों गावों के दानीदाता अपनी जमीनों को वापस लेंगे और खेती कर अपने परिवार भरण पोषण करेंगे।