बागेश्वर: जनपद के कपकोट तहसील के दुर्गम क्षेत्र कुवारी गांव में लगातार बारिश के बाद सभी पैदल मार्ग भूस्खलन आने से बन्द हो गए हैं, जिससे ग्रामीणों की परेशानी बढ़ गई है। हाल ही में इस गांव से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने प्रशासन के दावों की पोल खोल कर रख दी। दरअसल, कुंवारी गांव में एक महिला की डिलिवरी होनी थी। लेकिन सड़क व रास्ते बन्द होने से जिंदगी व मौत के बीच जूझ रही महिला को ग्रामीणों ने दो दिन तक जंगल का पैदल मार्ग तय कर थराली अस्पताल पहुंचाया। गौर करने वाली बात है इस गांव में एक डोली तक नहीं थी, जिसके बाद ग्रामीणों ने मजबूरन लकड़ियों की रस्सी बांध कर एक डोली बनाई और उसके सहारे महिला को अस्पताल तक पहुंचाया। बता दें कि महिला को परिजन व ग्रामीणों की मदद से लगभग 30 कोलोमीटर पैदल ,फिसलन भरे जंगलो के रास्ते से होते हुए अस्पताल तक पहुंचाया गया। अस्पताल ले जाने के लिए जंगलों में भटकते भटकते ग्रामीण 2 दिन बाद थराली अस्पताल पहुंचे।
वहीं मामले को लेकर पूर्व विधायक ललित फरस्वाण का कहना है की जिस तरह से एक गर्भवती महिला को 2 दिन का सफर तय कर अस्पताल पहुंचाया गया है वो बेहद ही शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबन्धन विभाग व स्वास्थ्य महकमा विभाग की पोल खुल चुकी है। उन्होंने इस मामले को बेहद गंभीर बताया है। और कहा कि पूरे गांव को अन्यत्र विस्थापन किया जाना चाहिए। बता दें कि शासन ने जिले में छह गांवों का चयन विस्थापन के लिये किया है। जिसमें कुंवारी क्षेत्र को भी शामिल किया गया है। पिछले दिनों गांव में आये भूस्खलन के बाद सिस्टम ने कुछ सतर्कता दिखायी लेकिन उसके बाद सबकुछ ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। अब देखना होगा कि आखिर प्रशासन कबतक इस तरह के दुर्गम क्षेत्रो में ग्रामीणों को मूलभूत सुविधा पहुचाने में कामयाब हो पाता है