नैनीताल। अबोध बच्ची के साथ दुराचार कर उसकी हत्या के जुर्म में फांसी के आरोपी की अपील पर सुनवाई पूरी कर हाईकोर्ट ने शुक्रवार को फैसला सुनाते हुए फाँसी की सजा को बरकरार रखा है। कोर्ट ने राज्य सरकार को सुझाव दिया है कि 15 वर्ष से कम आयु के बच्चों के कई मामले आ रहे है, इसलिए सरकार दुराचार के ऐसे मामले में मृत्युदंड का कानून 3 माह के भीतर बनाए।
मिली जानकारी के अनुसार फसियापुर, काशीपुर निवासी एक व्यक्ति ने 26 जून 2016 को काशीपुर थाने में उसकी आठ वर्षीय पुत्री की दुराचार के बाद हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले में पुलिस ने आरोपी करनदीप को गिरफ्तार किया था जिसके विरूद्ध धारा 376, पोक्सो व हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ। जिला एवं सत्र न्यायाधीश उधमसिंहनगर की अदालत ने आरोपी को फाँसी की सजा सुनाई थी।
फांसी की सजा की पुष्टि के लिए सरकार ने हाई कोर्ट में अर्जी दी थी। जबकि आरोपी ने स्वंय पर लगे आरोपों को गलत बताते हुए निचली अदालत के आदेश को निरस्त करने हेतु हाईकोर्ट में अपील की। वरिष्ठ न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के बाद निर्णय को सुरक्षित रख लिया था। पूर्व में सुनवाई के दौरान याची के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि निचली अदालत ने बिना तथ्यों का अध्ययन किये व साक्ष्यों का परीक्षण के बिना मामले को दुर्लभतम श्रेणी में रखकर फांसी की सजा सुनाई है।