नैनीताल: जनवरी 2017 में हुई डेंटल सर्जन की नियुक्ति प्रक्रिया पर कुछ डेंटिस्टों ने ही हाईकोर्ट में चुनौती दे दी है। मामले में हाईकोर्ट ने सरकार और मेडिकल सेलेक्शन बोर्ड से चार सप्ताह में जवाब मांगा है और चयनित 172 डॉक्टरों को नोटिस भी जारी कर दिया गया है।
वहीँ राज्य भर में हुई 203 डेंटल सर्जनों की इस नियुक्ति पर अब प्रश्नचिह्न लग गया है।
बता दें कि कुछ डेंटल सर्जन ने वर्ष 2017 में पूरी हुई नियुक्ति प्रक्रिया के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में सरकार की नियुक्ति प्रक्रिया को नियम विरुद्ध बताते हुए कहा गया है कि नियमावली के मुताबिक ये नियुक्तियां केवल साक्षात्कार के आधार पर होनी चाहिए थी। जबकि सरकार ने इसके लिए लिखित परीक्षा भी करा दी। साथ ही याचिकाकर्ताओं का यह भी कहना है कि सर्जन के लिए लिखित परीक्षा संबंधित आदेश 25 अप्रैल 2017 को आया, जबकि सरकार की ओर से आदेश के तीन माह पूर्व 22 जनवरी 2017 को ही डेंटल सर्जन की नियुक्ति के लिए लिखित परीक्षा करा दी गई थी।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि सलेक्शन नियमावली को सरकार निजी स्तर पर कतई नहीं बदल सकती। मामले को सुनने के बाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसफ और न्यायमूर्ति वीके बिष्ट की खंडपीठ ने मामले में सरकार और मेडिकल सलेक्शन बोर्ड से चार सप्ताह में जवाब मांगा है और साथ ही चयनित 172 डॉक्टरों को नोटिस भी जारी किया है।