देहरादून। राजधानी देहरादून में मंत्री शाहब के जनता दरबार पर एक ऐसा धब्बा लगा जो सायद ही पार्टी मिटा पाए। हालांकि घटना के बाद सूबे के मुख्या त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रकाश की मौत पर संवेदना दिखाते हुए खूब दुःख जाहिर किया। लेकिन सरकार को कौन समझाए कि संवेदनाओं से किसी की जान वापस नहीं आ सकती।
केंद्र और राज्य की बीजेपी सरकार को कोसते-कोसते जहर पि जाने वाले प्रकाश अब इस दुनिया में नहीं रहे। लेकिन प्रकाश का यह कदम सरकार को सवालों के घेरे में छोड़ गया। क्या सच में जनता सरकार के फैसलों से इतनी दुखी है कि जिंदगी से आत्महत्या ही बेहतर है? प्रकाश की मौत का कारण बीजेपी राजनितिक फंडा बता रही है। लेकिन प्रकाश ने जो कहा था उसका कोई जिक्र ही नहीं।
हैरानी की बात तो यह है कि प्रकाश चीखते हुए यह बोलते रहे कि उन्होंने जहर कहा लिया है लेकिन जनता दरबार में बैठे मंत्री शाहब ने उसे गंभीरता से सुना ही नहीं। आर्थिक बोझ के तले पांडे ने मौत को गले लगाया तो राज्य से लेकर केंद्र सरकार के होश उड़ गए।
स्वर्गीय प्रकाश पांडे ने अपनी समस्याओं को लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी खत लिखा था लेकिन देवभूमि के प्रशासन ने प्रकाश के पत्र की अनदेखी कर उसे कूड़ेदान के हवाले कर दिया। हद तो तब हुई जब प्रधानमंत्री कार्यलय ने उस पत्र को अपने पोर्टल में जगह देते हुए लिखा था कि उत्तराखंड प्रशासन इसका समाधान जल्द से जल्द करे लेकिन प्रशासन ने पत्र को समेट कर कूड़े में मिला दिया। प्रशासन की इस हरकत से अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रशासन किस कदर बेपरवाह और गैरजिम्मेदार हो गयी है।
बीजेपी सरकार राज्य में डबल इंजन की सरकार बनने पर खूब इतरा रही है। लेकिन सरकार की व्यवस्था से जनता कितनी परेशान है इसकी किसी को कोई सुध ही नहीं। न जाने देश में ऐसे कितने पांडे होंगे जिनका नोटबंदी और जीएसटी से धंदा चौपट हो गया हो। कर्ज के बोझ में दबे लोगों की सरकार को कब याद आएगी, अंदजा लगाना बेहद मुश्किल का काम है।
बहरहाल राजधानी दून में महंगी व्यवस्थाओं से लेस अस्पताल भी प्रकाश की जान नहीं बचा पाया। लेकिन पांडे की मौत की घटना के बाद राजनितिक पार्टियां ऐसे सक्रीय हुई कि बीजेपी सरकार को जमकर आड़े हाथ लिया। एक तरफ राजनैतिक पार्टियां बीजेपी सरकार पर जमकर हमला बोल रही थी तो उधर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पांडे के परिवार को हर संभव मदद देने के वायदे कर रहे थे।
गौरतलब है कि उत्तराखंड राज्य के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल राजधानी देहरादून में बीती 6 जनवरी को जनता की फरयाद सुनने को बीजेपी के प्रदेश कार्यलय में मौजूद थे। उसी दौरान हल्द्वानी के काठगोदाम निवासी प्रकाश पांडे ने जहर खा कर मंत्री शाहब को अपना दुःख बताया तो वहां मौजूद बीजेपी नेता और कार्यकर्ताओं ने उन्हें बस यह कह कर वहां से निकल दिया ‘अरे ये ड्रामा कर रहा है’ प्रकाश की हालत बिगड़ी तो आनन-फानन में मंत्री की गाड़ी में उन्हें दून अस्पताल पहुंचाया। लेकिन कुछ ही घंटों बाद अस्पताल के डॉक्टरों ने अपने हाथ खड़े कर दिए। खबर सीएम रावत तक पहुंची तो उन्हें शहर के सबसे मंहगे अस्पतालों में से एक मैक्स में भर्ती कराया गया। लेकिन किसे पता था प्रकाश की जान महंगे अस्पताल में भी नहीं बच पायेगी।