नैनीताल: हाईकोर्ट ने आत्महत्या सहित अन्य निजी कारणों से मौत के मामले में सरकार द्वारा दिए जा रहे मुआवजे के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है। साथ ही कोर्ट ने यह भी साफ किया कि जनता के धन का पूरी तरह सदुपयोग करने की जिम्मेदारी सरकार की है। मुख्य न्यायाधीश केएम जोसफ व न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की खंडपीठ के समक्ष इस मामले की सुनवाई हुई।
गौरतलब है कि चंपावत निवासी रीता गहतोड़ी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि प्रदेश में आत्महत्या करने वालों को सरकार की ओर से आर्थिक सहायता दी जा रही है। जिससे कि इस प्रकार की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिल रहा है। याचिका में कहा गया कि सरकारी कोष में जनता के अंशदान से पैसा जमा होता है। नियमानुसार इसका उपयोग जनहित के कार्यों में ही किया जाना चाहिए। लेकिन सरकार गैर-कानूनी ढंग से मरने वालों को आर्थिक सहायता दे रही है। वहीँ सरकार की ओर से जवाब में कहा गया कि ऐसा कोई प्रावधान व शासनादेश जारी नहीं किया गया है। सरकार जनता के धन के सदुपयोग के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया।