नैनीताल: हाईकोर्ट में समाज कल्याण विभाग में अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृति में हुए पांच सौ करोड़ रूपए के घोटाले के मामले में एसआईटी के अध्यक्ष डाक्टर के मंजुनाथ पेश हुए। लेकिन मुख्य सचिव के शपथपत्र में सन्तोषजनक उत्तर न मिलने पर मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खण्डपीठ ने सरकार से सात जनवरी तक विस्तृत शपथपत्र पेश करने को कहा है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए सात जनवरी की तिथि नियत की है।
सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव की ओर से शपथपत्र पेश किया गया। जिसमें मुख्य सचिव व सचिव समाज कल्याण की जांच रिपोर्ट पेश की गई थी। सुनवाई के दौरान एसआईटी के अध्यक्ष डाक्टर के मंजुनाथ ने कोर्ट को अवगत कराया कि जांच के लिए उन्होंने जिला समाज कल्याण अधिकारी व संयुक्त निदेशक से सूचना मांगी गयी लेकिन उनको अभी तक कोई भी इस सम्बन्ध में सूचना उपलब्ध नहीं कराई गयी है और न ही सहयोग किया गया है। एसआईटी द्वारा जितनी भी जांच की गयी है वह दस्तावेज उनको सामान्य व्यक्तियों के द्वारा उपलब्ध कराई गयी है। उन्ही के आधार पर जांच चल रही है।
पूर्व तिथि को कोर्ट ने मुख्य सचिव को निर्देश दिए थे कि वह तीन सप्ताह के भीतर जवाब पेश करें साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा था कि क्यों न इस मामले की जांच सीबीआई से कराई जाय।
मामले के अनुसार देहरादून निवासी रविन्द्र जुगरान ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि प्रदेश के हजारों अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रो को केंद्र सरकार द्वारा छात्रवृत्ति दी जाती है परन्तु समाज कल्याण विभाग द्वारा इसको न बांटकर सरकारी धन का दुरुपयोग किया है। जिसमें हजारों छात्रो के मामले हरिद्वार व देहरादून जिले के सामने आये है। इस घोटाले में लगभग पांच सौ करोड़ से अधिक का घपला हुआ है। महालेखाकार भारत सरकार, निदेशक समाज कल्याण व अपर सचिव समाज कल्याण के नोटिंग के आधार पर इसके घपले के तार राज्य से बाहर भी जुड़े है। इस प्रकरण की जांच सीबीआई से कराई जाय। मुख्यमंत्री प्रकरण की जांच वर्ष 2017 में एसआईटी द्वारा कराई गयी। परन्तु दोषियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नही की गयी। इस पर सरकार की ओर से कोर्ट को अवगत कराया गया था कि उन्होंने बीस माह बीत जाने के बाद एक दिसम्बर 2018 को एसआईटी ने सिडकुल हरिद्वार थाने में देहरादून व हरिद्वार जिले में हुए घपले के संबंध में आईपीसी की धारा 420 का मुकदमा दर्ज कराया है। कोर्ट ने मामले को गम्भीरता से लेते हुए पूर्व में मुख्य सचिव को स्वतः ही पक्षकार बनाया गया था और एसआईटी के इंचार्ज डाक्टर के मंजू नाथ और अपर सचिव रणवीर सिंह को दस्ती नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने पूर्व में जांच कर रहे अपर सचिव समाज कल्याण को इससे हटाये जाने का भी संज्ञान लिया था। कोर्ट ने माना है कि जनता के पैसो का दुरुपयोग हुआ है।