नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले के प्राचीर से ऐलान किया कि ‘चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ’ (CDS) यानी तीनों सेनाओं के एक सेनापति की व्यवस्था की जाएगी। इसे आजादी के बाद भारत में डिफेंस के सबसे बड़े रिफॉर्म के तौर पर देखा जा रहा है। ‘चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ’ (CDS) के लिए कई दशक पहले प्रस्ताव भेजा गया था जो अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से हकीकत में बदला जा रहा है और इस रेस में सबसे पहला नाम आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत का है। इनका कार्यकाल 31 दिसंबर को पूरा हो रहा है।
CDS के पास सैन्य सेवा का अनुभव और उपलब्धियां होना आवश्यक है, क्योंकि यह तीनों सेना का प्रमुख होगा। साथ ही, इसकी जिम्मेदारी देश की सेनाओं को वर्तमान चुनौतियों के अनुरूप तैयार रखना और भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए रूपरेखा तैयार करना होगा। इस पद की जिम्मेदारी थल सेना, नौसेना या वायु सेना के प्रमुख को दी जा सकती है।
इस पद के सृजन, कार्यों व तौर तरीकों को सुनिश्चित करने के लिए एक शीर्ष स्तर की कमिटी का गठन किया जायेगा। इस साल के अंत तक यह कमिटी अपना काम करेगी।
1999 के करगिल युद्ध के बाद मंत्रियों के समूह (GoM) की एक रिपोर्ट में सीडीएस यानी चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ पोस्ट की मजबूती से सिफारिश की गई थी। इसे थल सेना और एयर फोर्स के बीच अनबन के तौर पर देखा गया।
जीओएम रिपोर्ट में कहा गया कि स्टाफ कमिटी के वर्तमान प्रमुखों ने एकसूत्री रणनीतिक सलाह मुहैया कराने में गंभीर कमजोरी का खुलासा किया। हालांकि इसके बाद तीनों सेनाओं के कई संगठन अस्तित्व में आए लेकिन सीडीएस ठंडे बस्ते में पड़ा रहा।
2012 में नरेश चंद्र टास्क फोर्स ने भी सीडीएस के थोड़ा हल्के रूप चीफ ऑफ स्टाफ कमिटी (CoSC) की जरूरत जताई। 2016 में लेफ्टिनेंट जनरल शेकटकर कमिटी ने तीन सेनाध्यक्षों के अलावा एक नए 4 स्टार जनरल के तौर पर चीफ कोऑर्डिनेटर की सलाह दी।
उल्लेखनीय है कि जब भारत में ब्रिटिश शासन था तब भारत के कमांडर इन चीफ फील्ड मार्शल क्लाउड आचिनलेक थे, जिनके पास तीनों सेवाओं का अधिकार था। उन्हें ‘सुप्रीम कमांडर’ का टाइटल दिया गया था।