बागेश्वर: स्वच्छ भारत मिशन को लेकर खूब दावे किए गए। नदियों से लेकर शहरों की सफाई तक के बड़े-बड़े अभियान चलाए गए। स्वच्छ भारत मिशन के दौरान गंगा सफाई और दूसरी नदियों की सफाई के लिए कई एनजीओ भी बने। सफाई के नाम पर सरकार ने खूब पैसा भी खर्च किया, लेकिन स्थिति आज भी बदहाल है। आलम यह है कि देश की पवित्र नदियों में से एक गरुड़ गंगा का गंदगी से आज भी दम घुट रहा है। गरुड़ गंगा मैला ढोने को मजबूर है।
विकास खंड गरूड तहसील मुख्यालय से मात्र एक किमी की दूरी पर स्थित गोलू मार्केट के पास फैलाई जा रही गंदगी से गरूड गंगा प्रदूशित होती जा रही है। गंदगी से प्रदूषित गरूड गंगा का जल अनेक संक्रामक बिमारीयांे का कारण बनने जा रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने नदी की सफाई में पूरा सहयोग किया। नदी में पसरी गंदगी को साफ भी किया, लेकिन उसके बाद प्रशासनिक अलमा पूरी तरह चुप हो गया। गंदगी डालने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। लोगों का आरोप है कि प्रशासन केवल अभियान का प्रचार करने का दिखावा कर रहा है। काम के नाम पर महज फोटो खिंचवाई जा रही हैं। लोगों का कहना है कि प्रशासन को नदी में कूड़ा और दूसरी गंदगी डालने वालों पर कार्रवाई करनी चाहिए। स्थानीय लोग तो रोकते हैं, लेकिन उनकी कोई नहीं सुनता। यदि ऐसा ही चलता रहा, तो एक दिन गरुड़ गंगा महज नाला बनकर रह जाएगी।