अयोध्या: गणतंत्र दिवस के मौके पर लावारिस लाशों के मसीहा मोहम्मद शरीफ को सम्मानित किया गया। लावारिस लाशों के मसीहा मोहम्मद शरीफ उर्फ शरीफ चाचा को अब नई पहचान मिल गई है। अब इन्हें पद्मश्री शरीफ चाचा के नाम से जाना जाएगा। शरीफ चाचा पेशे से तो साइकिल मैकेनिक हैं। मगर इनके जीवन का ध्येय लावारिस शवों का सम्मान के साथ अंतिम संस्कार करना ही है। आज गणतंत्र दिवस के मौके पर अयोध्या के डीएम अनुज कुमार झा ने उन्हें तिरंगा उढ़ाकर उन्हें सम्मानित किया। दरअसल, अयोध्या के खिड़की अलीबेग मोहल्ले में रहने वाले शरीफ चाचा लावारिस लाशों के वारिस हैं। ऐसी लाशें जिनका कोई वारिस नहीं होता उन्हें शरीफ चाचा आसरा देते हैं। वे मृतक के धर्म के अनुसार उसका अंतिम संस्कार करते हैं। इस बात को अगर आंकड़ों की जुबानी कहें तो वे पिछले लगभग 23 वर्षों में वह हजारों लाशों को उसकी धर्म-मर्यादा के अनुसार अंतिम गति दे चुके हैं। शरीफ चाचा के ऐसा करने के पीछे बड़ी ही मार्मिक कहानी भी है, जो व्यवस्था की संवेदनहीनता से उपजी है।