रुद्रप्रयाग: एक बार फिर सरकारी विभागों के दावों की पोल खुली है। मामला रुद्रप्रयाग जिले का है, जहाँ जल संस्थान मुख्यालय वासियों को शुद्ध पानी नहीं पिला पा रहा है। जिसके कारण पांच साल पहले बने फिल्टरेशन प्लांट से दूषित पानी पीने के लिए आज भी आम जनता मजबूर है।
आप को बता दें कि जनपद मुख्यालय रुद्रप्रयाग को शुद्ध पानी की आपूर्ति के लिए एडीबी की सहायता से करीब 80 लाख रुपये की लागत से फिल्टरेशन प्लांट लगाया गया। शहर से करीब चार किमी दूर जंगल में श्रोत के करीब वर्ष 2013 में यह प्लांट लगाया गया। साथ ही पुराने ही टैंक पर प्लांट को स्थापित किया गया। इसके आलावा हर साल इस प्लांट के रख-रखाव के नाम पर हजारों रुपये भी खर्च किये जाते रहे हैं, बावजूद इसके प्लांट से एक बूंद भी शुद्ध पानी आम उपभोक्ताओं के घरों तक नहीं पहुंच पाया। गदेरे से सीधे पाइप लाइनों के जरिये पानी घरों तक पहुँचाया जा रहा है। जबकि प्लांट पर अब जंग भी लग चुका है और गंदगी के तालाब के रुप में परिवर्तित हो चुका है। सुरक्षा के लिहाज से भी यहां कोई एहतिआत नहीं बरती गयी है, जिसके चलते दूषित हो रहे पानी से शहर के हजारों लोगों पर गंभीर बीमारी का खतरा मंडरा रहा है।
वहीं इस गम्भीर मसले पर संस्थान इसे जल्दी ठीक करने की बात कह रहा है लेकिन संस्थान द्वारा लगातार की रही लापरवाही पर प्रशासन की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है। बहरहाल अब देखना होगा कि आखिर प्रशासन इस मसले पर कब नींद से जगता है।