देहरादून: प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष व उत्तराखंड वनाधिकार कांग्रेस के प्रणेता किशोर उपाध्याय ने प्रदेश के मुख्यमंत्री को आगामी बजट के सम्बन्ध में पत्र लिखकर सुझाव दिये हैं।
उपाध्याय ने अपने पत्र में लिखा है कि “मुझे मीडिया के विभिन्न माध्यमों से जानकारी मिली कि राज्य के आगामी बजट में जन आकक्षाओं का समावेश हो, आपने जन सामान्य से सुझाव आमन्त्रित किये हैं, अच्छा कदम है, पूर्ववर्ती सरकारों ने भी ये प्रयास किये, लेकिन यह रस्म अदायगी बनकर रह गयी है। मुझे याद है, 2017 में इन्ही दिनों विधान सभा के चुनावों के वक़्त पूरा प्रदेश बैनरों, पोस्टरों और होर्डिगों, मीडिया में विज्ञापनों से पट गया था, “अटलजी ने बनाया, मोदी जी संवारेंगे”
उपाध्याय ने आगे लिखा है कि “राज्य के मुख्यमंत्री के लिये उसमें कोई जगह नहीं थी। कितना संवरा, उसका आकलन आप राजनैतिक बुद्धिजीवी हैं, अवश्य करेंगे। आपकी सरकार का यह अन्तिम बजट है और यह बजट उत्तराखंडियों का बजट होना चाहिये। मैं निम्न सुझाव आपको देने की धृष्टता कर रहा हूँ।”
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उपाध्याय के सुझाव
जान है, तो जहान है, स्वास्थ्य सेवाएँ दम तोड़ चुकी हैं, विशेषकर पर्वतीय क्षेत्र में, उन्हें दुरुस्त कराएं
उत्तराखंड की 93% भूमि मानव सेवा के काम आ रही है, जिसमें 72% वन भूमि है, हम 60 करोड़ लोगों को जल देकर जीवन दे रहे हैं, प्राण वायु कितनी दे रहे हैं, उसके मूल्य का आकलन सम्भवत: सुपर कम्प्यूटर भी न कर पायेगा, अत: प्रदेश को गिरि/अरण्य प्रदेश घोषित करते हुये, उत्तराखंडियों को गिरिजन/अरण्यजन घोषित कर वनों पर उनके पुश्तैनी हक़-हकूक व अधिकार बहाल करते हुये निम्न सुविधायें दी जायँ:-
हर माह एक रसोई गैस सिलेंडर, बिजली व पानी निशुल्क दिया जाय
परिवार के एक सदस्य को पक्की सरकारी नौकरी दी जाय
केंद्र सरकार की सेवाओं में आरक्षण दिया जाय
शिक्षा/स्वास्थ्य सेवायें निशुल्क दी जाँय
जड़ी-बूटियों व वन उपज पर स्थानीय समुदाय का अधिकार हो
एक यूनिट आवास बनाने के लिये लकड़ी,बजरी व पत्थर निशुल्क दिया जाय
जंगली जानवरों द्वारा जन हानि पर रू. 25लाख क्षतिपूर्ति व परिवार के एक सदस्य को पक्की सरकारी नौकरी दी जाय
फसल के नुक़सान पर प्रति नाली 10 हजार रू क्षतिपूर्ति दी जाय
राज्य में अधिकतर रोज़गार परिवहन, पर्यटन, ठेकदारी आदि क्षेत्र में सृजित होते हैं, जिसमें इस क्षेत्र से सम्बंधित सज्जनों ने विभिन्न ऋणदाता संस्थानों से ऋण ले रखे हैं। COVID-19 के कारण वे गम्भीर वित्तीय संकट में हैं, आप बजट से पहले SLBC की बैठक बुलायें और ऋणों की ब्याज दर घटायें, 5वर्ष का मोरिटोरियम पिरीयड दें तथा ऋण भुगतान की अवधि काल कम-से कम दुगुना करें।
आयकर की सीमा बढ़ाकर रू. 10 लाख की जाय आशा है