देहरादून: प्रदेश में विवादित चल रही केदारनाथ हेली सेवा को लेकर पूर्व सीएम हरीश रावत ने बयान दिया है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने अपने कार्यकाल में एक कंपनी को हेली सेवाओं के संचालन का जिम्मा देने की योजना बनाई थी। उसको लेकर टेंडर हुए। टेंडर में प्रतियोगिता भी हुई। सरकार को भी राजस्व मिला। बाद में भाजपा सरकार ने आते ही उस टेंडर को रद्द कर दिया। उन्होंने सवाल खड़े किए कि अगर उनकी नीति गलत थी, तो भाजपा सरकार अब उसी नीति पर क्यों काम करना चा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार का रुख साफ नहीं है कि, वह करना क्या चा रही है। केदारनाथ को लेकर भी सरकार एक कदम आगे बढ़ती है, तो दूसरा कमद पीछे खींच लेती है।
पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि उनकी योजना यह थी किसी एक कंपनी को केदारनाथ हेली सेवा का जिम्मा दिया जाता। वहीं कंपनी पूरे प्रदेश के उन शहरों के बीच चलने वाली हवाई सेवाओं को सब्सिडी देती, जिनको सरकार एयर कनेक्टिविटी के तहत जोड़ना चा रही थी। भाजपा ने उसको लेकर खूब हल्ला किया। इतना ही नहीं सत्ता में आते ही सरकार ने हमारे कार्यकाल में किए गए करार को रद्द तक कर दिया। उन्होंने कहा कि अब सवाल यह है कि अगर सरकार ने उस करार को रद्द कर दिया है, तो नया करार उसी तर्ज पर क्यों। उन्होंने कहा कि अगर वर्तमान सरकार के पास इसका जवाब हो तो जावाब दे। उन्होंने कहा कि हमें केदारनाथ से पहले लाख की कमाई होती थी। हमने जो योजना बनाई थी। उससे प्रदेश को 12 करोड़ सीधेतौर पर मिलते और बाकी के 12 करोड़ से इंटर कनेक्टीविटी हो सब्सिडाइज्ड करते। इस सरकार ने अब तक कुछ नहीं किया। बस बातें बड़ी-बड़ी हो रही हैं।