खटीमा: इन दिनों हो रही भारी बरसात में जलभराव की स्थित से आम जन परेशान है। भारी बारिश के चलते सीमान्त खटीमा का फायर स्टेशन भी जल भराव से दो चार हो रहा है। आये दिन बरसात के सीजन में पानी का भरना व जर्जर हो चुकी इस फायर बिल्डिंग से पानी टपकना आम बात हो चुकी है। यहां फायर कर्मी बामुश्किल तरीकों से अपनी ड्यूटी करने पर मजबूर है। इसके साथ ही फायर कर्मीयों में हमेशा जर्जर हो चुकी बिल्डिंग के गिरने का डर बना रहता है। साल 1927-28 में बने इस भवन में 1986 से फायर स्टेशन की शुरुवात हुई। तब से लेकर आजतक लगातर इसी ब्रिटिश कालीन भवन में ही फायर स्टेशन संचालित किया जा रहा है। पूरी तरह जीर्ण शीर्ण हालत में पहुँच चुके फायर स्टेशन भवन में कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है, बावजूद इसके प्रशासनिक व विभागीय अमला फायर जवानों की सुरक्षा के प्रति संजीदा नही दिख रहा है।
फायर कर्मीयों का कहना है कि वो कई बार बिल्डिंग की दयनीय स्थिति के बारे में उच्च अधिकारियों को अवगत करा चुके है, लेकिन प्रशासन द्वारा इस ओर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। जबकि खटीमा फायर स्टेशन में 40 कर्मियों की जगह भवन की उपलब्धता ना होने के चलते वर्तमान में 25 फायर फाइटर ही कार्यरत है। बहरहाल दूसरों का जीवन बचाने वाले फायर कर्मी बरसात के सीजन में जर्जर हो चुके ब्रिटिश कालीन फायर स्टेशन भवन में ड्यूटी देने को मजबूर है। इन कर्मचारियों की पीड़ा सुनने वाला कोई नहीं हैं। शासन प्रशासन ने तो फायर स्टेशन के लिए भूमि आवंटित कर अपने फर्ज की इतिश्री कर दी है, लेकिन आपदा के लड़ाके फायर फाइटर बरसात में खुद आपदा से घिरे है।