नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही अयोध्या में एक बार फिर राजनीति गरमा सकती है। इतना ही नहीं, इस दौरान बड़ा घमासान भी देखने को मिल सकता है। विश्व हिंदू परिषद यानी वीएचपी ने राम मंदिर के मुद्दे को फिर से उछालने की तैयारी कर ली है। राम मंदिर को लेकर 5 अक्टूबर को दिल्ली में देश के करीब 30 बड़े संतों की बैठक होने जा रही है, जिसमें राम मंदिर निर्माण की रणनीति पर काम किया जा सकता है। इतना ही नहीं, राम मंदिर निर्माण के लिए कार सेवा का भी ऐलान संभव हो सकता है।
आरएसएस के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की महत्वपूर्ण बैठक 31 अक्तूबर से दो नवंबर तक मुंबई में हो रही है। बताया जा रहा है कि बैठक में बीजेपी की ओर से पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, संगठन महासचिव राम लाल और राष्ट्रीय महासचिव राम माधव भी शामिल होंगे। दीपावली बैठक के नाम से मशहूर यह बैठक हर साल दीपावली से पहले होती है। यह संघ की सबसे महत्वपूर्ण बॉडी है जिसमें नीतिगत विषयों पर चर्चा होती है।
देश भर से संघ और उसके सहयोगी संगठनों के तीन सौ से अधिक प्रतिनिधि बैठक में हिस्सा लेंगे। बैठक में राम मंदिर को लेकर गंभीर चर्चा होने की संभावना है। साथ ही विधानसभा और लोकसभा चुनावों की रणनीति को अंतिम रूप दिए जाने की भी संभावना है। इससे पहले राम मंदिर पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था- श्कुछ कार्य करने में देरी हो जाती है और कुछ कार्य तेजी से होते हैं वहीं कुछ कार्य हो ही नहीं पाते क्योंकि सरकार में अनुशासन में ही रहकर कार्य करना पड़ता है।
सरकार की अपनी सीमायें होती हैं। संघ प्रमुख ने कहा कि साधु और संत ऐसी सीमाओं से परे हैं और उन्हें धर्म, देश और समाज के उत्थान के लिये कार्य करना चाहिए। साधु स्वाध्याय संगम को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा, विपक्षी पार्टियां भी अयोध्या में राम मंदिर का खुल कर विरोध नहीं कर सकतीं क्योंकि उन्हें मालूम है कि भगवान राम बहुसंख्यक भारतीयों के इष्टदेव हैं। इससे भी संकेत मिलते हैं कि राम मंदिर को लेकर कुछ बड़ा घमासान होने वाला है।