नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हरिद्वार के लक्सर में दुराचार पीड़ित एक नाबालिग के गर्भवती होने के बाद पंचायत द्वारा गर्भवती सहित उसके पूरे परिवार को ग्राम सभा से बाहर करने के फरमान का स्वतः संज्ञान लेते हुए डीएम एसएसपी हरिद्वार को तुरंत मौके पर जाकर पीड़िता परिवार का पता लगाकर उन्हें सुरक्षा मुहैया कराने के निर्देश दिये हैं। हाईकोर्ट ने इस तरह के फतवों को संविधान के खिलाफ बताया है तथा कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में फतवों पर रोक लगायी है।
मामले के अनुसार, अधिवक्ता विवेक शुक्ला ने समाचार पत्र में छपी एक खबर की जानकारी कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की खंडपीठ को देते हुए बताया कि लक्सर कोतवाली के एक गांव में अप्रैल 2018 में एक दबंग परिवार के युवक ने नाबालिग युवती के साथ दुराचार किया। पिछले दिनों तबियत खराब होने पर पता चला कि वह गर्भवती है। जिसके निपटारे के लिये पंचायत बुलायी गयी। जिसमें आरोपी युवक ने पीड़िताा के साथ निकाह करने से इनकार कर दिया।
इसके बाद पंचायत ने पीड़ित परिवार के खिलाफ फरमान जारी कर दिया कि यदि वह इस मामले में शिकायत करेंगे तो उन्हें गांव में रहने नहीं दिया जाएगा। इस मामले का संज्ञान लेते हुए खंडपीठ ने डीएम व एसएसपी हरिद्वार से तुरंत परिवार का मौके पर जाकर पीड़ित परिवार का पता लगाने व उन्हें सुरक्षा मुहैया कराने को कहा है।