देहरादून: प्रदेश में वाहनों पर लगाए जाने वाले स्पीड गवर्नर का मामला अभी हल नहीं हो पाया है। स्पीड गवर्नर को अनिवार्य करने के बाद टैक्स आॅनर्स यूनियन के लोग टिहरी सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह से मिले थे। उन्होंने केंद्रीय परिवहन मंत्रालय से वार्ता कर एक कमेटी का गठन करने को कहा था। कमेटी का गठन होने के बाद आज उसका संयुक्त परीक्षण किया गया। लेकिन परिवहन विभाग के स्पीड गवर्नर को एसी की ठंड रास नहीं आई।
अब आपको असल मामला बताते हैं। दरअसल, स्पीड गवर्नर लगाना गति को नियंत्रित करने के लिए लगाया जा रहा है, लेकिन उससे जहां पहला नुकसान यह है कि इसके मनमाने रेट वसूले जा रहे हैं। वहीं, कुछ दूसरे नुकसान भी हो रहे हैं। आज टैक्सी यूनियन और परिवहन विभाग की संयुक्त टीम ने एक-एक वाहन को स्पीड गवर्नर लगाकर टेस्ट ड्राइव के लिए जाखन से आगे पहाड़ी की ओर ले जाया गया। जाते वक्त तो बिना एसी के ले गए, लेकिन वापसी में जब ड्राइवर एसी आॅन करने लगा तो, परिवहन विभाग के अधिकारियों ने एसी चलाने से इंकार कर दिया। इस बात को लेकर दोनों के बीच काफी देर तक वाद-विवाद भी होता रहा।
हैलो उत्तराखंड न्यूज से बात करते हुए आरटीओ पटोही ने कहा कि नियम तहत टेस्टिंग की गई। लेकिन टैक्सी यूनयिन की ओर से हमें सहयोग नहीं किया गया। हमने मामले से उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया है।
दूसरी ओर टैक्सी यूनियन के मीडिया प्रभारी सुंदर सिंह पंवार का कहना है कि बुकिंग करने वाली सवारी को एसी की भी जरूरत होती है। जबकि स्पीड गर्वनर एसी लगने के बाद सही ढंग से काम नहीं करता है। उन्होंने आरोप लगाया कि, सरकार और विभाग इसका ठेका किसी चहेते ठेकेदार को देना चाहते हैं, इसलिए हमको बेवजह परेशान किया जा रहा है।